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इतिहास और परम्परा ]
काल- निर्णय
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बुद्ध का निर्वाण अजातशत्रु के राज्य काल के ४२वें वर्ष में हुआ । बुद्ध के निर्वाण के १८० वर्ष बाद चन्द्रगुप्त मगध की गद्दी पर बैठा तथा २२६ वर्ष बाद अशोक का राज्यकाल स्थापित हुआ ।
froni की पुष्टि में
बुद्ध-निर्वाण सम्बन्धी उक्त निष्कर्ष नितान्त ऐतिहासिक और गणितिक पद्धति से प्रसूत हुए हैं; इसलिए वे स्वतः प्रमाण हैं; पर चूंकि वे निष्कर्ष इतिहास के क्षेत्र में प्रथम रूप से ही प्रस्तुत हो रहे हैं; अतः इनकी पुष्टि में कुछ अन्यान्य प्रमाण अनपेक्षित नहीं हैं । कुछ एक ऐतिहासिक और पारम्परिक प्रमाण, जो उक्त तथ्यों की साक्षात् पुष्टि करते हैं, वे क्रमश: दिये जा रहे हैं ।
१. तिब्बती परम्परा
तिब्बती बौद्ध परम्परा के अनुसार जिस दिन बुद्ध का जन्म हुआ उसी दिन अवन्ती के राजा चण्डप्रद्योत ( महासेन) का भी जन्म हुआ; तथा जिस दिन बुद्ध को बोधि-लाभ हुआ, उसी दिन चण्डप्रद्योत का राज्यारोहण हुआ । प्रद्योत राजा का उल्लेख बौद्ध, जैन और पौराणिक - तीनों परम्पराओं में प्रकीर्ण रूप से मिलता है। वायु', मत्स्य, भागवत' आदि पुराणों में तथा कथासरित्सागर" स्वप्नवासवदत्ता आदि ग्रन्थों के अनुसार चण्डप्रद्योत राजा का पुत्र पालक होता है, जो कि भगवान् महावीर की निर्वाण - रात्रि में ही अवन्ती की राजगद्दी पर बैठा । इससे यह स्पष्ट होता है कि जिस प्रकार प्रद्योत बुद्ध के साथ जन्मा और बुद्ध के बोधि-लाभ के दिन राजसिंहासन पर बैठा, उसी तरह भगवान् महावीर की निर्वाणतिथि पर ही उसका राज्यान्त हुआ । पौराणिक काल-गणना के अनुसार यह नितान्त असंदिग्ध है - त्रयोविंशत् समाराजा भविता स नरोत्तमः ६ अर्थात् चण्डप्रद्योत का २३ वर्ष राज्य रहा ।
बुद्ध के बोधि-लाभ के दिन प्रद्योत राजा बना, जब कि बुद्ध ३५ वर्ष के थे और महावीर के निर्वाण दिवस पर प्रद्योत का राज्यान्त हुआ, जबकि महावीर ७२ वर्ष के थे । अर्थात् प्रद्योत के राज्याभिषेक के समय महावीर ७२ – २३ – ४६ के वर्ष होते हैं । इससे भी निष्कर्ष आता है कि महावीर बुद्ध से १४ वर्ष ज्येष्ठ थे ; यह निष्कर्ष मी पूर्वोक्त १७ वर्ष की ज्येष्ठता के बहुत निकट पहुँच जाता है ।
१. Rockhill, Life of Buddha, pp. 17, 32
२. वायु पुराण, अ० ६६, श्लो० ३१२ ।
३. मत्स्य पुराण अ० २७१, श्लो० ३ ।
४. भागवत पुराण, स्कन्ध १२ अ० १, श्लो० ३ ।
५. कथासरित्सागर, ३-५-५८ ।
६. वायु पुराण, अ० ६६, श्लो० ३११ ।
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