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इतिहास और परम्परा] काल-निर्णय
१०७ देखना यह है कि दोनों के निर्वाण-काल में कम-से-कम अन्तर कितना सम्भव हो सकता है। गोशालक की मृत्यु से पूर्व यदि बुद्ध को बोधि-लाभ होता है, तो अधिक-से-अधिक १४ वर्ष पूर्व हो सकता है। क्योंकि इससे अधिक मानने में निष्कर्ष संख्या २ में हानि आती है । यदि इसे हम सम्भव मानें, तो महावीर और बुद्ध के निर्वाण में कम-से-कम १५ वर्ष का अन्तर आ जाता है।
इस प्रकार दोनों के निर्वाण में कम-से-कम १५ वर्ष का और अधिक-से-अधिक २६ वर्ष का अन्तर आता है । इतने वर्षों के इस सम्भावित अन्तर में से किसी निश्चित अवधि तक पहुँचने के लिए हमें एक मार्ग और मिल जाता है । अंगुत्तर निकाय की अट्ठकथा' में बुद्ध के चातुर्मासों का क्रमिक इतिहास मिलता है। उसके अनुसार बुद्ध राजगृह में बोधि-लाभ के पश्चात् दूसरा, तीसरा, चौथा, सतरहवाँ व बीसवाँ वर्षावास बिताते हैं। दीघ निकाय सामञफल सुत्त के अनुसार राजा अजातशत्रु राजगृह वर्षावास में बुद्ध का साक्षात्कार करता है, श्रामण्यफल पूछता है और पितृ-हत्या का अनुताप करता है। यह सब अजातशत्रु के राज्यारोहण के प्रथम वर्ष में होना चाहिए । राज्यारोहण के अनन्तर ही शोक-संतप्त होकर अपनी राजधानी राजगृह से चम्पा ले जाता है । यदि श्रामण्यफल आदि की घटना को सतरहवें या बीसवें चातुर्मास में हुआ मानें, तो निष्कर्ष संख्या २ विघटित होती है; क्योंकि श्रेणिक की मृत्यु व कोणिक के राज्यारोहण की घटना जैन-मान्यता के अनुसार महावीर की कैवल्य-प्राप्ति के तेरहवें वर्ष के आस-पास घटित होती है। इसलिए बुद्ध का यह वर्षावास दूसरे से चौथे तक ही होना चाहिए । इस प्रकार, महावीर की कैवल्य-प्राप्ति का वह तेरहवां वर्ष होता है और बुद्ध की बोधि-प्राप्ति का यह दूसरा, तीसरा या चौथा वर्ष होता है अर्थात् उस समय महावीर की आयु ५५ वर्ष की तथा बुद्ध की आयु ३६, ३७ या ३८ वर्ष की होती है। महावीर बुद्ध से १७,१८ या १६ वर्ष बड़े होते हैं । इसी आधार पर उनके निर्वाण का अन्तर २५, २६ या २७ वर्ष आ जाता है।
उक्त तीनों वर्षों में भी किसी एक निश्चित वर्ष पर पहुंचने के लिए भी एक छोटा-सा मार्ग मिल जाता है । यदि हम राजगृह में बुद्ध के दूसरे या तीसरे वर्षावास को लेते हैं, तो राजा श्रेणिक या बुद्ध की समसामयिकता एक या दो ही वर्ष ठहरती है। पिटकों की अभिव्यक्ति को देखते हुए उनकी समसामयिकता कुछ विस्तृत होनी चाहिए; अतः राजगह के चतुर्थ वर्षावास को ही ग्रहण करना सुसंगत है, जिससे श्रेणिक और बुद्ध की समसामयिकता भी पर्याप्त विस्तृत हो जाती है। इस प्रकार हम इस निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं कि महावीर और बुद्ध के निर्वाण में सम्भव अन्तर २५ वर्ष का है।
१.२-४-५। २. राइस डेविड्स ने भगवान् बुद्ध का चौथा चातुर्मास महावन (वैशाली) में माना है
(Rhys Davids, Buddhism, quoted in Buddha His life, His order, His teachings, M. N. Shastri, p. 120]; किन्तु अट्ठकथा के अनुसार तो पाँचवाँ चातुर्मास वैशाली में था । इसी प्रकार अट्ठकथा में छठा वर्षावास मंकुल पर्वत पर बताया है, जब कि राइस डेविड्स ने पाँचवां वर्षावास मंकुल पर्वत पर बताया है । लगता है, उन्होंने गिनती में एक वर्ष की भूल की है।
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