SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 154
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०० आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन कर प्रथम नन्द राजा नन्दीवर्धन ई० पू० ४४५ में दिवंगत हुआ।' प्रथम नन्द राजा नन्दी. वर्धन का यह काल । (ई० पू० ४७४-४५६) प्रसिद्ध वैयाकरण पाणिनि की तिथि से भी पुष्ट होता है, जो उसका समकालीन सिद्ध हो चुका है और जिसका काल ई० पू०४८०-४१० प्रमाणित हो चुका है। १. नन्दीवर्धन का राज्यान्त ई० पू० ४५६ में हुआ; इसकी पुष्टि इस तथ्य से भी होती है कि अलबेरुनी के अनुसार नन्द संवत् का आरम्भ विक्रम संवत् (ई० पू० ५६) से ४०० वर्ष पूर्व हुआ था (द्रष्टव्य, Dr. K. P. Jayswal, op. cit. vol XIII, p. 240%; गंगाप्रसाद मेहता, प्राचीन भारत, पृ० १०३) । यह सर्वथा सम्भव है कि नन्द-वंश के संस्थापक नन्दीवर्धन की मृत्यु के उपलक्ष्य में नन्द संवत् का प्रारम्भ हुआ हो। २. प्राचीन ब्राह्मण एवं बौद्ध परम्पराएँ पाणिनि को नन्द राजा का समकालीन बताती हैं। प्रसिद्ध तिब्बती इतिहासकार तारनाथ के अनुसार पाणिनि महापद्म के पिता नन्दराजा महानन्दी का मित्र था (History of Buddhism, p. 1608) । बौद्ध ग्रन्थ मंजुश्रीमूलकल्प में उल्लेख मिलता है : तस्याप्यन्तरो राजा नन्दनामा भविष्यति । पुष्पाख्ये नगरं श्रीमान महासन्यो महावलः। भविष्यति तदा काले ब्राह्मण स्ताकिका भवि ॥ तेभिः परिवारितो राजा वै। तस्याप्यन्यतमः सख्यः पाणि निर्माम माणवाः॥ (पटल ५३, पृ० ६११-२, Dr. Jayswal, Studies on Manusjhrimutakalpa, p. 14.) पुष्पपुर में नन्द राजा होगा और पाणिनि नामक ब्राह्मण उसके निकट का मित्र होगा। राजा की सभा में अनेक तार्किक होंगे और राजा उनको पारितोषिकों से सम्मानित करेगा। इन प्रमाणों के अतिरिक्त सोमदेव के 'कथासरित्सागर' व क्षेमेन्द्र की 'बृहत्कथामंजरी' से भी इस तथ्य की पुष्टि होती है कि पाणिनि नन्द राजा का समकालीन था। चीनी यात्री ह्य-एन-त्सांग का विवरण भी इस तथ्य की पुष्टि करता है। द्रष्टव्य, डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल, पाणिनिकालीन भारतवर्ष, पृ० ४६७-४८० । डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल ने साहित्यिक, ऐतिहासिक व पारम्परिक प्रमाणों के आधार पर सिद्ध किया है कि पाणिनि का समय ई० पू० ४८०-४१० था। डॉ. अग्रवाल ने जैन काल-गणना की इस मान्यता को भी स्वीकार किया है कि नन्दों का काल ई० पू० ४७३-३२३ था (पाणिनिकालीन भारतवर्ष, पृ० ४७३)। डॉ० अग्रवाल इससे भी सहमत हैं कि ई०पू०४६५ में प्रथम नन्द राजा नन्दीवर्धन पाटिलपत्र में राज्य कर रहा था (वही, प०४७४)। इतना ही नहीं उन्होंने पाणिनि के व्याकरण का उद्धरण देकर यह प्रमाणित किया है कि नन्दीवर्धन प्रथम नन्द राजा था व उसका पुत्र महानन्दी द्वितीय नन्द राजा था (वही पृ० ४७४) । Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002621
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherConcept Publishing Company
Publication Year1987
Total Pages744
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & History
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy