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इतिहास और परम्परा]
नन्दीवर्धन के पश्चात् उसका पुत्र माहनन्दी नन्द-वंश का दूसरा राजा हुआ और उसने पुराणों के अनुसार ४३ वर्ष राज्य किया।' महानन्दी का समय ई० पू० ४५६-४१३ था। तत्पश्चात् महापद्म नन्द राजा हुआ और उसने भारत में 'एकराट्' साम्राज्य की स्थापना की। पुराणों के अनुसार उसका राज्य-काल ८८ वर्ष का था। इस प्रकार ई० पू० ३२५ में महापद्म नन्द का अन्त हुआ। शेष नन्द राजाओं ने केवल १२ वर्ष राज्य किया और ई० पू० ३१३ में नन्द-वंश का अन्त हुआ।
इस प्रकार शिशुनाग-वंश से लेकर मौर्य-वंश की स्थापना तक समग्र काल-गणना का पुननिर्माण किया जा सकता है। इसको काल-क्रम तालिका के रूप में इस प्रकार रखा जा सकता है: घटना
तिथि (ई० पू०) शिशुनाग वंश की स्थापना) शिशुनाग का राज्याभिषेक काकवर्ण का राज्याभिषेक
७४७ क्षेमवर्धन , क्षेमजित् ,
६६१ प्रसेनजित् ।
६२५ बिम्बिसार ,
५८२ अजातशत्रु,
५४४ उदायी , ,, (मगध की मुख्य)
४६७ गद्दी पाटलिपुत्र में) (दर्शक या नागदशक का राज्याभिषेक (४६७) मगध की शाखा राजगृह में)
८०७
१. वायु पुराण, अ० ६६, श्लो० ३२६; मत्स्य पुराण, अ० २७१, श्लो० १८ । २. वायु पुराण, अ० ६६, श्लो० ३२७ । ३. वही। ४. यह ध्यान देने योग्य है कि डॉ० स्मिथ ने भिन्न आधारों पर अपनी काल-गणना का . निर्माण किया है, फिर भी महापद्म नन्द का काल ई०पू० ४१३-३२५ माना है। ५. चन्द्रगुप्त मौर्य ने ई० पू० ३२२ में नन्द-वंश का अन्त कर दिया. पर नन्दों का राज्य
अवन्ती में ई० पू० ३१३ तक चलता रहा । जब ई० पू० ३१३ में चन्द्रगुप्त मौर्य ने अवन्ती का राज्य जीत लिया, तब वहाँ भी नन्द-वंश का अन्त हो गया।
कुछ इतिहासकारों ने प्रथम दो नन्द राजा नन्दीवर्धन व महानन्दी के पूर्व नन्द और महापद्म नन्द तथा उसके वंशजों को नव नन्द अथवा नये नन्द के रूप में भी माना है (द्रष्टव्य, Dr. Shantilal Shah, Chronological Problems, pp. 34-37; E. J. Rapson, Cambridge History of India, pp. 289-903; Dr. K. P. Jayswal, J. B. O. R. S. Sept. 1915, p. 21) ।
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