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इतिहास और परम्परा]
काल-निर्णय
२. ऐक्ष्वाकु वंश-बृहद्बल (महाभारत के योद्धा) से सुमित्र तक ; सुमित्र बुद्ध के समकालीन राजा प्रसेनजित् के बाद चतुर्थ राजा था। इस वंश की राजधानी कोशल में श्रावस्ती थी।
३. पौरवचन्द्र वंश (राजा बृहद्रथ के वंशज)-सहदेव (महाभारत के योद्धा) से रिपुंजय तक; रिपुंजय बुद्ध के समकालीन चण्ड-प्रद्योत का पूर्ववर्ती राजा था। - बृहद्रथ के वंशजों (बाहंद्रथों) को सम्भवतया इसलिए 'मागध' कहा जाता है कि बृहद् रथ, जरासन्ध आदि मगध के राजा थे तथा सहदेव के पुत्र सोमाधि ने महाभारत-युद्ध के पश्चात् मगध में गिरिव्रज में राजधानी की स्थापना की थी। सहदेव से रिपुंजय तक २२ राजाओं की काल-गणना देने के पश्चात् पुराणों में बताया गया है:
पूर्ण वर्षसहस्र वै तेषां राज्यं भविष्यति ॥ बृहद्रथेष्वतीतेषु वीतिहोत्रेष्ववन्तिषु । पुलिकः स्वामिनं हत्वा स्वपुत्रमभिषेक्ष्यति ।। -वायु पुराण, अ० ६६, श्लो० ३०६-३१०;
___मत्स्यपुराण, अ० २७१, श्लो० ३०; अ० २७२, श्लो० १ । ये श्लोक बताते हैं कि अवन्ती में वीतिहोत्र और बृहद्रथों का राज्य व्यतीत हो जाने पर अन्तिम राजा रिपुंजय को मार कर उसके मंत्री पुलिक ने अपने पुत्र प्रद्योत को अभिषिक्त किया। यह सुविदित है कि प्रद्योत का राज्य अवन्ती में था और वह महावीर व बुद्ध का समकालीन था। इससे स्पष्ट होता है कि बाहद्रथ राजाओं ने सोमाधि के समय में मगध में राज्य स्थापित किया था, किन्तु बाद में वे अवन्ती चले गये थे। वहाँ अन्तिम राजा रिपुंजय की हत्या के पश्चात् प्राद्योतों का राज्य प्रारम्भ हुआ।
४. प्रद्योत वंश-प्रद्योत से अवन्ती-वर्धन (नन्दीवर्धन या वर्तीवर्धन) तक; इस वंश का राज्य अवन्ती में था।
५. शिशुनाग वंश-शिशुनाग से महानन्दी तक इस वंश का राज्य मगध में था। पुराणों के अनुसार राजा शिशुनाग ने शिशुनाग-वंश की स्थापना की थी। शिशुनाग ने काशी का राज्य जीत लिया और अपने पुत्र काकवर्ण को काशी का राजा बनाकर स्वयं मगध का राज्य करने लगा। उसने गिरिव्रज में अपनी राजधानी रखी।
हत्वा तेषां यशः कृत्स्नं शिशुनागो भविष्यति ।
वाराणस्यां सुतं स्थाप्य श्रयिष्यति गिरिव्रजम् ।। -वायु पुराण, अ०६६, श्लो० ३१४-५; मत्स्य पुराण, अ० २७२, श्लो०६। ___डॉ० त्रिभुवनदास लहरचन्द शाह के अनुसार २३वें तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ के पिता अश्वसेन के बाद शिशुनाग ने काशी में राज्य स्थापित किया था (प्राचीन भारतवर्ष, खण्ड १)। डॉ० शाह ने पौराणिक, जैन और बौद्ध काल-गणनाओं के संयुक्त अध्ययन के आधार पर एक सुसंगत काल-क्रम का निर्माण किया है (जिसकी विस्तृत चर्चा 'काल-गणना पर पुनर्विचार' में की जायेगी)। इस काल-क्रम के अनुसार शिशुनाग
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