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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
बुद्ध ज्येष्ठ और महावीर पूर्व-निर्वाण-प्राप्त हैं।' महावीर की ज्येष्ठता के सम्बन्ध में मिलने वाले पिटक-समुल्लेखों को भी उन्होंने घटित करने का प्रयत्न किया है, किन्तु वह स्वाभाविकता से बहुत परे का है। एक-आध स्थल को उन्होंने वक्रोक्ति के द्वारा जहां घटित करने का प्रयत्न किया है, वहां अनेक स्थल जो महावीर की ज्येष्ठता के सम्बन्ध में अत्यन्त स्पष्ट हैं, उनका कोई समाधान नहीं दिया है। कुल मिलाकर उनका पक्ष यह तो है कि महावीर बुद्ध से पूर्व-निर्वाण-प्राप्त हए थे।
पुरातत्त्व-गवेषक मुनि जिनविजयजी ने भी डा० जायसवाल के मत को मानते हुए महावीर की ज्येष्ठता स्वीकार की है।
धर्मानन्द कोसम्बी
श्री धर्मानन्द कोसम्बी का सुदृढ़ निश्चय है कि बुद्ध तत्कालीन सातों धर्माचार्यों में सबसे छोटे थे। प्रारम्भ में उनका संघ भी सबसे छोटा था। काल-क्रम की बात को कोसम्बीजी ने यह कहकर गौण कर दिया है कि "बुद्ध की जन्म-तिथि में कुछ कम या अधिक अन्तर पड़ जाता है, तो भी उससे उनके जीवन-चरित्र में किसी प्रकार का गौणत्व नहीं आ सकता। महत्त्व की बात बुद्ध की जन्म-तिथि नहीं, बल्कि यह है कि उनके जन्म से पहले क्या परिस्थिति थी और उसमें से उन्होंने नवीन धर्म-मार्ग कैसे खोज निकाला।"५ काल-क्रम को गौण करने का कारण यही है कि इस सम्बन्ध में नाना मतवाद प्रचलित हैं।
डा. हर्नले
हैस्टिग्स के इन्साइक्लोपीडिया ऑफ रिलीजन एण्ड इथिक्स ग्रन्थ में डा० हर्नले ने भी इस विषय की चर्चा की है। उनकी धारणा के अनुसार बुद्ध का निर्वाण महावीर से ५ वर्ष पश्चात् होता है। तदनुसार बुद्ध का जन्म महावीर से ३ वर्ष पूर्व होता है। यह मानने में डा० हर्नले के आधारभूत तथ्य वे ही है, जो प्रस्तुत निबन्ध में यत्र-तत्र चर्चे जा चुके हैं।
मुनि कल्याण विजयजी
ई० सन् १९३० में इतिहासविद् मुनि कल्याण विजयजी ने एक विराट् प्रयत्न किया है। वीर-निर्वाण संवत् और जैन काल-गणना नामक उनका एतद्विषयक ग्रन्थ गवेषकों के लिए एक अनूठा खजाना है। भगवान् महावीर और बुद्ध के निर्वाण-समय के विषय में उन्होने अपना स्वतन्त्र चिन्तन प्रस्तुत किया है। उसका निष्कर्ष है-भगवान् महावीर से बुद्ध १४
१. भगवान् महावीर और महात्मा बुद्ध पृ० ११४-११५ । २. वही, पृ० ११०-११५। ३. जैन साहित्य संशोधक, पूना, १६२०, खण्ड १, अंक ४, पृ २०४ से २१० । ४. भगवान् बुद्ध, ३३, १५५ । ५. वही, भूमिका, पृ० १२।
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