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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : १
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निर्वाण के २१५ वर्ष बाद चन्द्रगुप्त मौर्य गद्दी पर बैठता है। यह प्रकरण तित्यो गाली पइन्नय का है, जो कि परिशिष्ट पर्व तथा भद्रेश्वर की कहावली ; इन दोनों ग्रन्थों से बहुत ही प्राचीन माना जाता है ।
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लगता है, हेमचन्द्राचार्य के परिशिष्ट पर्व की गणना में पालक राज्य के ६० वर्ष छूट ही गए हैं। श्री पूर्णचन्द्र नाहर तथा श्री कृष्णचन्द्र घोष लिखते हैं: "महावीर के बाद पालक राजा ने ६० वर्ष राज्य किया था । लगता है, असावधानी से हेमचन्द्राचार्य उस अवधि को जोड़ना भूल गए । २
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डा० जेकोबी ने परिशिष्ट पर्व का सम्पादन किया है। उन्होंने भी अपनी भूमिका में बताया है कि यह रचना हेमचन्द्राचार्य ने बहुत ही शीघ्रता में की है तथा इसमें अनेक स्थानों पर असावधानी रही है । उस भूमिका में जेकोबी ने इस विषय पर विस्तृत रूप से लिखते हुए साहित्य और व्याकरण की नाना भूलें सप्रमाण उद्धृत की हैं। बहुत सम्भव है, जिस कथन ( श्लोक ३३९ ) के आधार पर जेकोबी ने महावीर - निर्वाण के समय को निश्चित किया है, उसमें भी वैसी ही असावधानी रही हो ।
हेमचन्द्राचार्य ने स्वयं अपने समकालीन राजा कुमारपाल का काल बताते समय महावीर निर्वाण का जो समय माना है, ई० पू० ५२७ का ही है; न कि ई० पू० ४७७ का । हेमचन्द्राचार्य लिखते हैं* : "जब भगवान् महावीर के निर्वाण से सोलह सौ उनहत्तर वर्ष बीतेंगे, तब चौलुक्य कुल में चन्द्रमा के समान राजा कुमारपाल होगा ।" अब यह निर्विवादतया माना जाता है कि राजा कुमारपाल ई० सन् १९४३ में हुआ । हेमचन्द्राचार्य के कथन से यह काल महावीर - निर्वाण १६६६ वर्ष का है । इस प्रकार हेमचन्द्रचार्य ने भी महावीर - निर्वाणकाल १६६६-११४२ ई० पू० ५२७ ही माना है ।
बुद्ध की निर्वाण तिथि
Astro कोबी ने बुद्ध का निर्वाण ई० पू० ४८४ में माना है । उसका आधार उन्होंने यह बताया है : "दक्षिण के बौद्ध कहते हैं, चन्द्रगुप्त का राज्याभिषेक बुद्ध-निर्वाण के १६२ वर्ष
१. विस्तार के लिए देखें ; 'काल गणना' प्रकरण ।
3. Hemchandra must have omitted by oversight to count the period
of 60 years of king Palaka after Mahavira.
— Epition of Jainism, Appendix A, p. IV.
३. एशियाटिक सोसाइटी, कलकत्ता द्वारा प्रकाशित । ४. अस्मिन्निर्वाणतो वर्षशत्या ( ता ) न्यभय षोडश । नवषष्टिश्च यास्यन्ति यदा तत्र पुरे तदा ॥ कुमारपाल भूपालो, चौलुक्यकुलचन्द्रमाः । भविष्यति महाबाहुः, प्रचण्डाखण्ड शासनः ॥
— त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित्रम्, पर्व १०, सर्ग १२, श्लो० ४५-४६ । ५. R. C. Majumdar, H. C. Raychoudhary, K. K. Dutta, An Advaoced History of India, p. 202.
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