________________
[पट्टावली-पराग
तक नहीं है। गुप्तकालीन कुछ नग्न जिनप्रतिमाएँ भी वहां से हाथ लगी हैं, उसका कारण यह है कि मिहिरगुल हूण राजा के उपद्रवों के समय उत्तर तथा पश्चिम भारत के श्वेताम्बर सम्प्रदाय राजस्थान, मेवाड़ और मालवा की तरफ मा गये थे, उस समय दिगम्बरों ने कहीं-कहीं अपने सम्प्रदाय की नग्न मूर्तियां मथुरा के स्तूप में बैठा दी थीं, जो गुप्तकालीन, विक्रम की सप्तम तथा अष्टम शती में बनी हुई हैं, इससे प्राचीन नहीं। श्वेताम्बर जैन परम्परा कितनी प्राचीन है और उसके वर्तमान मागम कैसे प्रामाणिक हैं इसके निर्णय के लिए हमारा उपर्युक्त थोड़ा सा विवेचन ही पर्याप्त होगा।
Jain Education International 2010_05
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org