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________________ चतुर्थ-परिच्छेद ] [ ४६३ - हन्त" का नाम है, यह कहकर उन्होंने सीमन्धर स्वामी को साक्षी से त्रिविधाहार का अनशन कर दिया, दूसरे १७ संवरियों ने भी अनशन शाह श्री कडुवा के पास किये, जिनके नाम ये हैं - शाह तेजा, शाह कर्मसी, शाह नाकर, शाह राणा, शाह कर्मण, शाह डाहा और शाह पूना, अन्य दस संवरियों ने शत्रुञ्जय तीर्थ पर जाकर अनशन किये, उनके नाम - शाह शवसो, शाह धींगा, शाह देपा, शाह लीम्बा, शाह सीधर, शाह शवगण, शाह लूणा, शाह मांगजी, शाह जसवन्त और पटेल हांसा शाह श्री कडवा अरिहन्त, सिद्ध का जाप करते २१ वें दिन दिवंगत हुए, तथा अन्य संवरी अनशन करने वालों में से कोई महीने में, कोई ३५ दिन में स्वर्ग प्राप्त हुए। शाह श्री कडवा के लिए मांडवो बनाकर चन्दन प्रमुख पदार्थो से देह का अग्निसंस्कार किया गया। शाह श्रो खीमा के मुख से श्लोक सुनकर अग्निसंस्कार के समय पाने वाले सब अपने-अपने स्थान पहुंचे। शाह श्री कडुवा १६ वर्ष गृहस्थ रूप में रहे, १० वर्ष सामान्य संवरी के रूप में रहे, ४० वर्ष तक अपने समवाय के पट्टधर के रूप में रहकर ६६ वर्ष की उम्र में परलोकवासी हुए। शाह श्री कडुवा के बनाये हुए गीत, स्तवन, साधु-वन्दना प्रमुख ग्रन्थों का श्लोक प्रमाण ६ हजार के लगभग पाटन में है । थराद से शाह रामा, शाह दूदा, प्रमुख कडुवाशाह को पाक्षिकतिथि के विषय में पूछने पा रहे थे, तब रास्ते में सुना कि शाहश्री दिवंगत हो गए हैं, तब यह बात विवादास्पद हो रही, शाह रामा पाठवीं पाक्षिक जानकर कहने लगे, शाह दूदा और खीमा की एक बात मिली, इसलिए वर्तमान में थराद में दो उपाश्रय हैं, उनमें शाह रामा कहते हैं - शाह कडमा यही कहते थे कि जैसा मैं कहता है, यह सब पंचम पारे का प्रभाव है। कभी-कभी अष्टमी और पाक्षिक का दिन जुदा-जुदा आता है, शेष सभी बातें शा० कडुमा के समवाय में समान हैं। Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002615
Book TitlePattavali Parag Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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