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________________ पुप्फभिक्खू की पट्टावली (६) २७ देवगिरिण क्षमाश्रमण २८ वीरभद्र ३० जसवीर ३१ वीरसेन ३३ जससेन ३० हर्षसेन ३६ जयपाल गरि ३९ कर्मसिंह ४२ शंकरसेन ४५ पद्माचार्य ४८ उन्मनाचार्य ५१ देवचन्द्र ५४ महासेन ५७ मित्रसेन ६० लालाचार्य ६३ रूपाचार्य ६६ हरजी ६६ विस्सरणायरि ७२ लक्ष्मीचन्द्र ७५ उत्तमचन्द ७८ पुष्पभिक्षु ३७ देवर्षि ४० राजर्षि Jain Education International 2010_05 ४३ लक्ष्मीलाभ ४६ हरिशर्मा ४६ जयसेन ५२ सूरसेन ५५ जयराज ५८ विजयसिंह ६१ ज्ञानाचार्य ६४ जीवष ६७ जीवराज ७० मनजी ७३ छितरमल ७६ रामलाल ७६ सुमित्र २६ शिवभद्र ३२ णिज्जामय ३५ जयसेन ३८ भीमसेन ४१ देवसेन ४४ रामपि For Private & Personal Use Only ४७ कुशलप्रभ ५० विजयप ५३ महासिंह ५६ गजसेन ५६ शिवराज ६२ भागाचार्य .६५ तेजराज ६८ धनजी ७१ नाथूरामाचार्य उपर्युक्त ८० नामों में से देवगिरि पर्यन्त के २७ नाम ऐतिहासिक हैं । इनमें भी कतिपय नाम प्रस्त-व्यस्त और अशुद्ध बना दिये हैं । २७ में से ११वां, १४, २०, २१वां, २५वां और २६ वां, ये सात नाम वास्तव ७४ राजाराम ७७ फकीरचन्द ८० जिनचन्द्र www.jainelibrary.org
SR No.002615
Book TitlePattavali Parag Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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