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________________ तृतीय- परिच्छेद ] [ ३१६ सं० १३२६ के चैत्र वदि १३ को पालनपुर से अभयषन्द्र की व्यवस्था में विधिर्म का संघ शत्रुञ्जय तीर्थ की यात्रा के लिए निकला । श्री जिनेश्वर सूरि, जिनरत्नाचार्य, चन्द्रतिलकोपाध्याय, कुमुदचन्द्र प्रमुख २३ साधु और लक्ष्मीनिधि महत्तरा प्रमुख १३ साध्वियों के साथ चलता हुआ संघ तारंगा तीर्थ पहुँचा। वहां इन्द्रादि पदों के चढ़ावे हुए, इन्द्रपद-द्र० १५००, मन्त्री प० द्र० ४००, सारथि प० द्र० १००, भाण्डागारी प० द्र० ११०, आद्य चामर-धारी के २ पद ३०० द्रम, पिछले चमरधारी २ पद द्र०, छत्रधर पद द्र० ६६, वहां से संघ वीजापुर गया, वहां भी वासुपूज्य मन्दिर में चढ़ावे हुए । तीन हजार द्रम्स की ग्रामदनी हुई, इसी प्रकार स्तम्भनक महातीर्थ में चढ़ावे हुए । कुल द्रम्म ५००० प्राये । वहां से संघ शत्रुञ्जय महातीर्थ पहुँचा और पूर्वोक्त प्रकार के द्रम्म इन्द्रादिक के चढ़ावों में प्राप्त हुए । द्रम्म १७ हजार की प्राप्ति हुई । वहां से संघ गिरनार महातीर्थ पहुंचा, वहां पर भी इन्द्रमाला आदि के 1 चढ़ावे बोले गये और ५३२ तमाम चढ़ावे हुए और ७०६७ द्रम्म की ग्रामदनी हुई। एकन्दर इस संघ की तरफ से शत्रुञ्जय के देवभण्डागार में अनुमानतः २० हजार द्रम्म की प्राप्ति हुई और गिरनार के देवभण्ड गार में १७ हजार द्रम्म भए । गिरनार पर नेमिनाथ चैत्य में जिनेश्वरसूरि द्वारा प्रबोधसमुद्र (हर) विनयसमुद्र की दीक्षा हुई, वहां से संघ प्रभास पारण गया और चतुविध संघ के साथ उधर के सर्व चैत्यों की यात्रा की । इस प्रकार विधिमार्ग संघ तथा सा० अभयचन्द्र के साथ आषाढ़ सुदि ६ को देवालय का जिनेश्वरसूरि प्रमुख चतुविध संघ सहित पालनपुर में प्रवेश हुआ । सं० १३२८ के वैशाख सुदि १४ को जालोर में चन्द्रप्रभ, ऋषभदेव और महावीर के बिम्बों की प्रतिष्ठा करवाई, ज्येष्ठ वदि ४ को हेमप्रभा को दीक्षा दी । सं० १३३० में वैशाख बदि ६ को प्रबोधमूर्ति गरिए को वाचनाचार्य - पद दिया और कल्याण ऋद्धि गणिनी को प्रवर्तिनी पद हुमा, जालोर में वैशाख वदि ८ को स्वर्णगिरि के जिनचैत्य के शिखर में चन्द्रप्रभ की प्रतिमा स्थापित हुई । Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002615
Book TitlePattavali Parag Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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