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________________ ३१८ ] [ पट्टावली-पराग सं० १३२१ फाल्गुन सुदि २ गुरु के दिन चित्तसमाधि, क्षान्तिनिधि साध्वियों की दीक्षा, फाल्गुन वदि ११ को पालनपुर में एक पाले में तीन प्रतिमाएं और ध्वजादण्ड चढ़ाया, ज्येष्ठ सुदि १५ को विक्रमपुर में चारित्रशेखर, लक्ष्मीनिवास और रत्नावतार साधुओं की दीक्षा । __ सं० १३२२ माघ सुदि १४ को त्रिदशानन्द, शान्तमूर्ति, त्रिभुवनानन्द, कीर्तिमण्डन, सुबुद्धिराज, सर्वराज, वीरप्रिय, जयवल्लभ, लक्ष्मीराज, हेमसेन आदि नामक दस साधु । मुक्तवल्लभ, नेमिभक्ति, मंगलनिधि और प्रियदर्शना नामक चार साध्वियों को दीक्षा दी और वैशाख ६ को वीरसुन्दरी को विक्रमपुर में दीक्षा । सं० १३२३ मार्ग० वदि ५ को नेमिध्वज साधु तथा विनयसिद्धि और आगमरिद्धि की दीक्षा जालोर में। वैशाख सुदि १३ देवमूर्ति गरिण को वाचनाचार्य-पद पर द्वितीय ज्येष्ठ सुदि को जयसलमेरु पार्श्वनाथ-चैत्य पर दण्डकलश प्रतिष्ठा और विवेकसमुद्र गरिण को वाचनाचार्य-पद की स्थापना की गई । प्राषाढ़ वदि १ को हीरकर साधु किया। सं० १३२४ मार्ग वदि २ शनि को कुल भूषण, हेमभूषण की दीक्षा, अनन्तलक्ष्मी, व्रतलक्ष्मी, एकलक्ष्मी और प्रधानलक्ष्मी की जालोर में दीक्षा हुई। ___ सं० १३२५ वैशाख सुदि १० को जालोर में महावीर चैत्य में गजेन्द्र बल साधु और पद्मावती साध्वी की दीक्षा। वैशाख सुदि १४ को उसी महावीर-चैत्य में २४ जिनबिम्बों की, २४ ध्वजदण्डों की, सीमन्धर युग्मन्धर, बाहु, सुबाहु के बिम्बों की तथा अन्य भनेक बिम्बों की प्रतिष्ठा हुई। ज्येष्ठ वदि ४ को सुवर्णगिरि के शान्तिनाथ-चैत्य में बनी हुई २४ देहरियों में उन्हीं २४ जिनबिम्बों तथा सीमन्धर, युग्मन्धर, बाहु, सुबाहु के बिम्बों की स्थापना हुई और उसी दिन धर्म तिलक गणि को वाचनाचार्यपद दिया गया। उसी वर्ष वैशाख सुदि १४ को जैसलमेरु में पार्श्वनाथचैत्य पर दण्डकलशारोपण का उत्सव हुमा । ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002615
Book TitlePattavali Parag Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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