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प्रथम-परिच्छेद ]
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पंचमगं मालिज्ज, छ8 पुरण प्रज्जचेडयं होई ।
सत्तमगं कण्हसह, सत्तकुला चाररणगरणस्स ॥२॥२१२॥"
स्थविर श्रीगुप्त हारितगोत्रीय से यहां चारणगण नामक गण निकला, उसकी ये चार शाखाएँ और सात कुल इस प्रकार कहे जाते हैं : प्रथम : १. वत्सलीय, २. प्रोतिधर्मक, ३. हालीय, ४. पुष्यमित्रीय, ५. मालीय, आर्य चेटक और ७. सातवां कृष्णसख ये चारण गण के ७ कुलों के नाम हैं । २१२।' ___"थेरेहितो भद्दजसेहितो भारहायसगोत्तेहितो एत्थ रणं उड्डवाडियगरणे निग्गए। तस्स रग इमानो चत्तारि साहायो, तिन्नि कुलाई एवमाहिज्जति । से कि तं साहायो ? साहायो एवमाहिज्जति तं० : चंपिज्जिया, भद्दिज्जिया, काकं दिया, मेहिलिज्जिया, से तं साहायो। से कि तं कुलाई ? कुलाई एवमाहिज्जति :
भद्दजसियं तह भद्द-गुत्तियं-सइयं च होइ जसभई ।
एयाई उडुवाडियकगणस्स तिन्नेव य कुलाइ ॥१॥२१३॥" 'स्थविर भद्रयशा भारद्वाज गोत्रीय से यहां ऋतुवाटिकट नामक गण निकला, जिसकी ये चार शाखाएँ और तीन कुल इस प्रकार कहे जाते हैं : शाखाएँ : चंपीया, भद्दीया, काकन्दिका और मैथिलीया इस नाम से हुईं
और कुल : भद्रयशीय, भद्रगुप्तीय, यशोभद्रीय ये ऋतुवाटिका गण के ३ कुल हैं । २१३ ।'
___ "थेरेहितो णं कामिट्टिहितो कुंडिल (कोडिल) सगोत्तेहितो एत्थ रणं वेसवाडियगणे नामं गणे निग्गए। तस्स रणं इमानो चत्तारि साहायो,
* उड्डवाडिय' (ऋतुवाटिक) नामक स्थान आजकल का उलबडिया है। कलकना से १५ मील दक्षिण भागीरथी गंगा के बायें किनारे पर हावड़ा जिले के सबडिविजन का सदर स्थान 'उलबडिया' एक छोटा कस्बा है। स्टीमर हर रोज कलकत्ते के प्रारमेनियन घाट से खुलकर उलडिया से नहर द्वारा मेदनीपुर जाती है। उलबडिया से एक अच्छी सड़क मेदनीपुर बालासोर और कटक होकर जगन्नाथपुरी तक पहुंची है. उलपडिया सो आगे दामोदर नदी के मुहाने के सामने फुल्य नामक एक बड़ी बस्ती है।
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