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[ पट्टावली-पराग
पढमं च नागभूयं, बीयं पुष सोमभूइयं होई। अह उल्लगच्छ तइयं, चउत्थयं हथिलिज्ज तु ॥१॥
पंचमगं नंदिज्ज, छट्ठ पुरण पारिहासियं होई । उद्देहगणस्सेते, छच्च कुला होंति नायया ॥२॥२१॥"
'स्थविर आर्यरोहण काश्यपगोत्रीय से सद्दे हगण नामक गण निकला, उसकी ये चार शाखाएँ और छः कुल निकले जो ये हैं :
प्रथम शाखाओं के नाम लिखे जाने हैं : उदुम्बरीया', मासपुरिया , माथुरीया; पूर्णपत्रिका, ये शाखाए हैं। अब कुल क्या हैं सो कहते हैं : १ नागभूत, २ सोमभूतिक, ३ पाकच्छ, ४ हस्तलेह्य ।।१॥ ५ नन्दीय, ६ पारिहासिक, उद्दे हगण के उक्त छ: कुल जानने चाहिए ।।२।।२११।।
"थेरेहितो र सिरिगुत्तेहितो एत्थ वं चारणगणे नामं गरणे निग्गए। तस्स णं इमानो चत्तारि साहानो सत्त य कुलाई एवमाहिज्जति । से कि तं साहातो? साहातो एवमाहिज्जति तंजहा : हारियमालागारी, संकासिया, गवेधूया, वज्जनागरी, से तं साहायो। से किं तं कुलाई ? कुलाई एवमाहिज्जति तंजहा:
पढमेत्थ वच्छलिज्ज, बीयं पुरण पोइधम्मयं होइ । तइयं पुरण हालिज्जं चउत्थगं पूसमित्तिज्जं ॥१॥
१ उदुरीया आजकल का डोमरिया गञ्ज समझना चाहिए, यह स्थान रापती नदी के दाहिने किनारे तहसील का सदर मुकाम है। इसके पूर्व में करीब १६-१७ मील पर बांसी, पश्चिमोत्तर में उतने ही फासले पर उत्तगेली तहसील का सदर मुकाम है । इसके पश्चिम में करीब ४८ मील पर जिले का सदर मुकाम गोडा है। अक्षांश २७:१२ रेखांश ८२/३४/३६ पर डोमरिया गंज अवस्थित है।
२ 'मासपुरीया' वर्त देश की राजधानी "मासपुर' थी जिससे "मासपुरिया'' शाला निकली।
३ 'माथुरीया' यह शाखा मथुरा नगरी से प्रसिद्ध हुई है, आगरा से मथुरा ३१ मील पश्चिमोत्तर में अक्षांश २७.३० रेखांश ७७/४१ पर अवस्थित है।
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