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[ पट्टावली-पराग
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चत्तारि कुलाइएवमाहिज्जति । से किं तं साहायो ? साहाम्रो एव० सावत्थिया, रज्जपालिया, अन्तरञ्जिया, खोमिलिज्जिया, से तं साहायो। से कि तं कुलाई ? कुलाइ एवमाहिज्जति तंजहा :
गरिणयं मेहिय कामड्डियं च तह होइ इंदपुरगं च ।
एयाइ बेसवाडिय-गणस्स चत्तारि उ कुलाइ ॥१॥२१४॥" 'स्थविर कामद्धि कोडालगोत्रीय से यह वैशवाटक नामक गण निकला, इसकी चार शाखाएँ तथा ४ कुल कहे जाते हैं। शाखाएं : श्रावस्तिका, राज्यपालिता, अन्तरंजिया, क्षौमिलीया ये शाखाओं के नाम हैं और गणिक, मेधिक, कामद्धिक और इन्द्रपुरक ये वैशवाटिक गण के ४ कुल हैं । २१४ ।'
"थेरेहितो रणं इसिगुत्तेहितो णं काकंदरहितो वासिद्धसगोत्तेहितो एत्थ रणं मारणवगरणे नामं गणे निग्गए। तस्स रणं इमाओ चत्तारि साहायो तिणि य कुलाइएव० । से कि तं साहायो ? साहायो एवमाहिज्जति : कासविज्जिया, गोयमिज्जिया, वासिटिया, सोरडिया, से तं साहायो। से किं तं कुलाई ? कुलाइ एवमाहिज्जति तंजहा :
इसिगुत्तियऽत्थ पढम, बिइयं इसिदत्तियं मुणेयध्वं ।
तइयं च अभिजयंतं, तिन्नि कुला मारणवगरणस्स ॥१॥२१५॥"
'काकन्दक स्थविर ऋषिगुप्त वासिष्ठगोत्रीय से यहां मानव नामक गण निकला, उसकी ये चार शाखाएं और तीन कुल इस प्रकार कहे जाते हैं, शाखाएँ : काश्यपीया, गौतमीया, वासिष्ठीया, सौरट्ठीया ये शाखाओं के नाम हैं। १. ऋषिगुप्तिक, २. ऋषिदत्तिक और तीसरा अभिजयंत ये मानवगण के कुल हैं । २१५ ।'
"थेरेहितो रणं सुद्विय-सुपडिबुद्धोहितो कोडिय-काकन्दरहितो वग्यावच्चसगोत्तेहितो एत्थ रणं कोडियगरणे नामं गणे निग्गए। तस्स रणं इमानो चत्तारि साहारो चत्तारि कुलाइएक० । से कि तं साहायो ? साहाम्रो एवमाहिज्जति तंजहा :
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