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________________ २६४ ] [ पट्टावली-पराग की प्रशंसा की भरमार से मर्यादा को लांघता है, विरोधी गच्छवालों के ऊपर हृदय की जलन निकाली जाती है - "निग्वधिविधिमार्गदुष्टलोकमुखमालिन्यनिर्मापरमषीकूर्चकानुकारिणा XXX सकल विपक्षहृदय कोलकानुकारिणी" इत्यादि वाक्यों से लेखक ने अपने हृदय का जोश प्रकट किया है, चिष्ठिका, रलिक चित्ता, प्रपाटी, शिलामय, पित्तलामय, भुवन, आदि अलाक्षणिक शब्दों का बार-बार प्रयोग करके अपने संस्कृतज्ञान का थाह बता दिया है। गृहस्थ भक्तों की लेखक ने किस प्रकार बिरुदावलियां लिखी हैं, उनका हम एक नमूना उद्धृत करके पाठकों की जिज्ञासापूर्ति करेंगे - "ततः सं० १३७६ वर्षे मार्गशोर्षवदि पंचम्यां नाना-नगर-ग्रामवास्तव्याऽसंख्य महद्धिक सुश्रावक लोकमहामेलापकेन श्रीसार्धामकवत्सलेन श्रीजिनशासनप्रोत्साप्रवीणेनोदारचरित्रेण दक्षदाक्षिण्यौदार्यधैर्यगाम्भीर्यादिगुरणगरणमालालंकृतसारेण युगप्रवरागमबोजिनप्रबोधसू रिसुगुर्वनुजसाधुराजजाह्नण पुत्ररत्नेन स्वभ्रातृ - सा० रुदपालकलितेन साधुराजतेजपालसुश्रावकेरा, XXX श्री भीमपल्लीसमुदायमुकुटकल्पेन सा० श्यामलपुत्ररत्नेनोदारचरित्रेन साधुवीरदेवेन ।" इत्यादि । यों तो सारी गुर्वावली प्रतिशयोक्तियों से भरी पड़ी है, फिर भी इसका अन्तिम भाग तो मानो एक उपन्यास- सा बन गया है । ऐतिहासिक कहे जाने वाले पट्टावली - गुर्वावली श्रादि साहित्य में इस प्रकार की प्रतिशयोक्तियाँ और विस्तृत वर्णन कहां तक उचित माने जा सकते हैं, इसका पाठकगरण स्वयं विचार कर लेंगे । श्राचार्य जिनकुशलसूरि के वृत्तान्त में सं० १३५० में दिल्ली का राजा गयासुद्दीन होने की बात लिखी है । प्राचार्य जिनपद्मसूरि के समय में सं० १३९३ में बूझरी के शासक को राजा के नाम से उल्लिखित किया है, इसी प्रकार हर एक आचार्य के विहार के प्रसंग में जहां इनके प्रवेश की धामधूम हुई है और ग्रामाधिपति उनके प्रवेश में सन्मुख गया है, वहां प्रायः सर्वत्र जागीरदार को राजा अथवा महाराजा के नाम से ऊंचे दर्जे चढ़ाया है। पट्टावली के इस भाग में बीसों स्थानों पर एक नये सिक्के का Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002615
Book TitlePattavali Parag Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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