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[ पट्टावली-पराग
टीका, क्षेत्रसमासटीका, संग्रहणीटीका आदि
अनेक ग्रन्थों की रचना की। ५६ जयकेसरीसूरि - जन्म सं० १४६१ में, दीक्षा १४७५ में, सूरिपद
१४६४ में, १५४२ में राजनगर में स्वर्गवासी हुए। ६० सिद्धांतसागरसूरि - जन्म १५०६ में, १५२२ में दीक्षा, सं० १५४१
में प्राचार्य-पद, सं० १५४२ में गच्छनायक-पद,
१५६० में मांडलगढ़ में स्वर्गवास । ६१ भावसागरसूरि - जन्म १५१० में, सं० १५२४ में दीक्षा, १५६०
में गच्छ नायक-पद, वि० १५८३ में खंभात में
स्वर्गवास । ६२ गुणनिधानसूरि - वि० १५४८ में जन्म, १५६० में दीक्षा, १५८४
में सूरिपद और गच्छनायक पद सं० १६०२
में राजनगर में स्वर्गवास । ६३ धर्ममूर्तिसूरि - वि० स० १५८५ में जन्म; १५६६ में दीक्षा,
१६०२ में राजनगर में सूरिपद और गच्छ
नायक-पद, १६७० में स्वर्गवासी हुए। ६४ कल्याणसागरसूरि- सं० १६३३ में जन्म, १६४२ में दीक्षा, वि०
१६४६ में प्राचार्य-पद, १७१८ में स्वर्गवास । ६५ अमरसागरसूरि - सं० १६६४ में जन्म, १६७५ में दीक्षा, १६८४
में प्राचार्य-पद, सं० १७६२ में स्वर्गवास । ६६ विद्यासागरस रि - १७३७ में जन्म, १७५६ में दीक्षा, १७६२ में
प्राचार्य-पद और गच्छनायक-पद, १७९७ में
स्वर्गवास । ६७ उदयसागरस रि - जन्म १७६३ में, दीक्षा १७७७ में, उपाध्याय-पद
सं० १७८३ में सं० १८२८ में उदयसागरसूरिजी की प्राज्ञा से अंचलगच्छ की पट्टावली का यह
अनुसन्धान बनाया। ६८ श्री कीर्तिसागरसूरि-सं० १७९६ में जन्म, सं० १८६० में दीक्षा,
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