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________________ २४२ ] [ पट्टावली-पराग टीका, क्षेत्रसमासटीका, संग्रहणीटीका आदि अनेक ग्रन्थों की रचना की। ५६ जयकेसरीसूरि - जन्म सं० १४६१ में, दीक्षा १४७५ में, सूरिपद १४६४ में, १५४२ में राजनगर में स्वर्गवासी हुए। ६० सिद्धांतसागरसूरि - जन्म १५०६ में, १५२२ में दीक्षा, सं० १५४१ में प्राचार्य-पद, सं० १५४२ में गच्छनायक-पद, १५६० में मांडलगढ़ में स्वर्गवास । ६१ भावसागरसूरि - जन्म १५१० में, सं० १५२४ में दीक्षा, १५६० में गच्छ नायक-पद, वि० १५८३ में खंभात में स्वर्गवास । ६२ गुणनिधानसूरि - वि० १५४८ में जन्म, १५६० में दीक्षा, १५८४ में सूरिपद और गच्छनायक पद सं० १६०२ में राजनगर में स्वर्गवास । ६३ धर्ममूर्तिसूरि - वि० स० १५८५ में जन्म; १५६६ में दीक्षा, १६०२ में राजनगर में सूरिपद और गच्छ नायक-पद, १६७० में स्वर्गवासी हुए। ६४ कल्याणसागरसूरि- सं० १६३३ में जन्म, १६४२ में दीक्षा, वि० १६४६ में प्राचार्य-पद, १७१८ में स्वर्गवास । ६५ अमरसागरसूरि - सं० १६६४ में जन्म, १६७५ में दीक्षा, १६८४ में प्राचार्य-पद, सं० १७६२ में स्वर्गवास । ६६ विद्यासागरस रि - १७३७ में जन्म, १७५६ में दीक्षा, १७६२ में प्राचार्य-पद और गच्छनायक-पद, १७९७ में स्वर्गवास । ६७ उदयसागरस रि - जन्म १७६३ में, दीक्षा १७७७ में, उपाध्याय-पद सं० १७८३ में सं० १८२८ में उदयसागरसूरिजी की प्राज्ञा से अंचलगच्छ की पट्टावली का यह अनुसन्धान बनाया। ६८ श्री कीर्तिसागरसूरि-सं० १७९६ में जन्म, सं० १८६० में दीक्षा, ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002615
Book TitlePattavali Parag Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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