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द्वितीय-परिच्छेद 1
१७३४ स्वतंत्र मेड़ता में १७३५ सोजत
१७३६ कुक्कुडेश्वर ( मालवा ) १७३७ सौंदरशी
१७३८ दधालीए
१७३६ रतलाम
१७४० मांडवगढ़
१७४१
१७४२ रतलाम
१७४३
१७४४
11
उदयपुर
खमरणोर
१७४५ कोठारिया
१७४६ श्रासपुर
१७४७ बांसवाड़े
१७४५ डूंगरपुर
१७७६
१७७७ उदयपुर
१७७८ पालनपुर
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१७५० पाटण
१७५१ सोहीगाम
१७५२ (द) साड़ा
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१७५३ - १७६३ अहमदाबाद में बराबर ११ वर्ष रहे ।
१७६४
उदयपुर
१७६५ में कोठारीया
आचार्य विजयक्षमासूरि के चातुर्मास्यों की सूची :
१७७४ कोठारीया
१७७६ पाटण
१७७५ कीशनगढ़
१७५० पालितारणा
१७८१ घोघाबन्दर
१७८२ दीवबन्दर
१७८३
हमारी एक हस्तलिखित पट्टावली में जो १७६० में लिखी हुई है, प्रार्य स्थूलभद्र का गृहस्थ- पर्याय ३० वर्ष, व्रत पर्याय २० वर्ष, और ४६ वर्ष युगप्रधान पर्याय के माने हैं ।
१७६६ सादड़ी
१७६७ बांसवाड़ा
१७६८ उदयपुर
१७६८
11
जोधपुर
१७७० १७७१ बीजौवा
१७७२ सादड़ी
१७७३ उदयपुर
[ २२३
"वि० ० ११३५ वर्षे केचित् ११३८ वर्षे नवांगवृत्तिकारक श्री मदभयदेवसूरि ! स्वर्गभा तथा कूर्वपक्षीय चेत्यवासि जिनेश्वरसूरिशिष्यो जिनवल्लभनामा चित्रकूटे षष्ठकल्याणकप्ररूपरणया विधिसंघो विधिषमं इति
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