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द्वितीय-परिच्छेद ]
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७० प्राचार्य श्री विजयसमुद्रसूरि -
गोढवाड१ में कवला गात्र में जन्म, पोरवाड़ जातीय, पितृनाम हरनाथ, मातृनाम पूरी की कुक्षि से जन्म, आचार्य-पद सं० १८८० में पूना में ।
१. सोहम्म कुल पट्टावली में कवि दीपविजयजी ने 'कवला' गांव गोढारण अर्थात् गोड़वाड़ में होना लिखा है, परन्तु कवला गोड़वाड़ में न होकर शिलावटी में है, भूति से एक कोस उत्तर में।
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