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[ पट्टावली-पराग
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६४ भाचार्य श्री विजयऋद्धिसूरि -
आबु के पास थांरण गांव में सं० १७२७ में जन्म, सं० १७४२ में अहमदाबाद में दीक्षा, सं० १७६६ में सिरोही
में प्राचार्य-पद, १७९७ में स्वर्गवास । ६५ प्राचार्य श्री विजयसौभाग्यसूरि - प्राचार्य श्री विजयप्रतापसूरि -
सं० १७९५ में प्राचार्य-पद सादड़ो में, १८१४ में सिनोर में स्वर्गवास ।
इन्होंने अपने पट्ट पर विजयभानसूरि को बैठाया। ६६ प्राचार्य श्री विजयउदयसूरि -
जन्म वांकली गांव में, प्राचार्य-पद मुडारा में, गुजरात में उदयसूरि ने सपरिवार जाकर काकागुरु सौभाग्यसूरि से. मिलकर भागे दक्षिण में विहार किया और सं० १८३७
में स्वर्गवासी हुए। ६७ प्राचार्य श्री विजयलक्ष्मीसूरि -
सिरोडी और हणादरा के बीच में सिरोडी से दक्षिण में १ कोस और हणादरा गांव से उत्तर में दो कोस पर पालडी गांव में सं० १७९७ में जन्म, सं० १८१४ में नर्मदा तट पर सिनोर में दीक्षा, उसी वर्ष सूरि-पद, सं०
१८५८ में सूरत में स्वर्ग-गमन । ६८ प्राचार्य श्री विजयदेवेन्द्रसूरि -
सूरत में जन्म, सं० १८५७ में प्राचार्य-पद बड़ौदा में,
प्रहमदाबाद में सं० १८६१ में स्वर्गवास । ६६ प्राचार्य श्री विजयमहेन्द्रसूरि -
भीनमाल में जन्म, सं० १८२७ में प्रामोद में दीक्षा, सं० १८६१ भट्टारक-पद, सं० १८६५ में स्वर्गवास ।
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