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________________ विज यानन्द सूरि - शाखा को पहावली (२) ६० विजयसेनसूरि - ६१ विजयतिलकसूरि - विशल नगर में जन्म, जाति पोरवाड़, पिता नामदेव जी, माता जयवंती, होरविजयसूरि के प्रतिबोध से दीक्षा ली। वड-गच्छ के भट्टारक विजयसुन्दरसूरि के वासक्षेप से सिरोही में सं० विजयसेनसूरि के पट्ट पर प्रतिष्ठित किया, १६७६ में स्वर्गवासी हुए । ६२ विजयानन्दसूरि - रोहिड़ा नगर में जन्म! पोरवाल जातीय, पितृनाम श्रीवन्त, मातृनाम सिणगारदे, श्री विजयहीरसूरि के उपदेश से 6 लोगों के साथ सं० १६५१ के वर्ष में दीक्षा, उपाध्याय सोमविजयजी से शास्त्र-ज्ञान प्राप्त किया, प्राचार्य विजयतिलकसूरि ने विजयानन्दसूरि को सिरोही में १६७६ में सूरिपद दिया, सं० १७१७ में, मतान्तर से १७११ में स्वर्गवासी हुए। ६३ विजयराजसूरि - कडी गांव में सं० १६७६ में जन्म, पिता का नाम खीमा, ज्ञाति श्रीमाली, माता गमनादे, १६८६ में विजयानन्दसूरि के पास दीक्षा, १७०३ में सिरोही में सूरि-पद और सं० १७४२ में स्वर्ग । ६४ विजयमानसूरि - नगर बुरहानपुर के, जाति से पोरवाल, पिता वागजी, माता वीरमदे, जन्म सं० १७०७ में, दीक्षा सं० १७१७ में दो भाइयों के साथ, सं० १७३६ में सिरोही में प्राचार्य-पद, १७४२ में भट्टारक-पद, सं० १७७० में स्वर्गवास। ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002615
Book TitlePattavali Parag Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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