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________________ ११६ ] १ विशाख १ क्षत्रिय २ प्रोष्ठिल २ प्रोष्ठिल ३ कृत्तिकार्य (क्षत्रिकार्य ) ३ गंगदेव ४ जय ५ नाम (नाग) ६ सिद्धार्थ ७ धृतिषेण ८ बुद्धिलादि ४ जय ५ सुधर्म ६ विजय ७ विशाख ८ बुद्धिल ६ धृतिषेण १० नागसेन ११ सिद्धार्थ ले. नं. १०५, श. १३२० १ नक्षत्र २ पाण्डु ३ जयपाल ४ कंसाचार्य ५ द्रुमसेन ( धृतिसेन ) १ विशाख २ प्रौष्ठिल ३ क्षत्रिय ४ जय Jain Education International 2010_05 ५ नाग ६ सिद्धार्थ ७ धृतिषेरण ८ विजय ६ बुद्धिल १० गंगदेव ११ धर्मसेन उक्त लेखों में इन प्राचार्यों का समय नहीं बतलाया तथापि इन्द्रनन्दी कृत "श्रुतावतार" से जाना जाता है कि महावीर स्वामी के बाद ३ केवली ६२ वर्षों में, ५ श्रुतकेवली १०० वर्षों में, ११ दशपूर्वी १८३ वर्षों में, पांच एकादशांगधर २२० वर्षों में और चार श्राचारांगधर ११८ वर्षों में हुए हैं, इस प्रकार महावीर स्वामी के निर्वाण के बाद लोहाचार्य तक ६८३ वर्ष व्यतीत हुए थे 1 हरिवंश पु० १ नक्षत्र २ यशः पाल ३ पाण्डु ४ ध्रुवसेन ५ कंसाचार्य [ पट्टावली-पराग า For Private & Personal Use Only ११ दशपूर्वी एकादशांगवर ५ www.jainelibrary.org
SR No.002615
Book TitlePattavali Parag Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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