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प्रथम-परिच्छेद ]
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१ सुभद्र
१ लोह २ सुभद्र ३ जयभद्र ४ यशोबाहु
२ यशोभद्र ३ यशोबाहु ४ लोहाचार्य
प्राचारांगधर ४
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बहुत से लेखों में उपर्युक्त प्राचार्यों की परम्परा के बाद कुन्दकुन्दा. चार्य की परम्परा लिखी गई है। किसी भी लेख में उपर्युक्त श्रुतज्ञानियों और कुन्दकुन्दाचार्य के बीच की पूरी गुरु-परम्परा नहीं पायी जाती, केवल उपर्युक्त लेख नं० १०५ में ही इनके बीच के प्राचार्यों के कुछ नाम पाए जाते हैं, वे इस प्रकार हैं :
२ विनीत (अविनीत?) ३ हलधर ४ वसुदेव ५ अचल ६ मेरुधीर ७ सर्वज्ञ ८ सर्वगुप्त ६ महीधर
घनपाल ११ महावीर १२ वीर १३ कोण्डकुन्द
नन्दी संघ की पट्टावली में कुन्दकुन्दाचार्य को गुरु-परम्परा इस प्रकार पायी जाती है।
भद्रबाहु गुप्तिगुप्त
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