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________________ काव्योंका ऐतिहासिक सार १:-मुलतानमें पांच नदीके पांचो पीर आपके सेवक बने । माणिभद्र यक्ष एवं बावन वीर भी आपकी सेवामें हाजिर ., रहा करते थे। २:-मुल्तानमें प्रवेशोत्सव समय (भीड़में कुचलकर ) मूगलपुत्र मर गया था , उसे आपने पुनः जीवित कर सबको आश्चर्या न्वित कर दिया। ३ :-चोसठ योगनियोंके स्त्री रूप धारण कर व्याख्यानमें छलनेको आने पर उन्हें मन्त्रित पाटों पर बैठाकर, कीलित कर दिया। आखिर वे गुरुजीसे प्रार्थना कर मुक्त हो, जाते समय ७ वरदान दे गई, जो इस प्रकार हैं : (१) प्रत्येक ग्राम और नगरमें एक श्रावक ऋद्धिवंत होगा। (१) आपके नाम लेनेवालेपर बिजली नहीं गिरेगी। (३) सिन्धु देशमें आपके श्रावकोंको विशेष लाभ होगा। (४) आपके नाम स्मरणसे भूत-प्रेत एवं चौरादिका भय, ज्वरादि रोग दूर होंगे। एवं शाकिनी नहीं छल सकेगी। (५) खरतर श्रावक प्रायः निर्धन न होगा और कुमरणसे नहीं मरेगा। (६) आपके स्मरणसे जलसे पार उतर जायगा, पानीमें नहीं डूबेगा। (७) बालब्रह्मचारिणी साध्वीको ऋतुधर्म नहीं आयगा। Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002600
Book TitleAetihasik Jain Kavya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherShankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
Publication Year
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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