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ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह्न
पृ०३७३ से ३७६ में प्रकाशित अवदात छप्पयों के अपूर्ण x (आदि अंत त्रु० ) होनेके कारण वर्णित विषयका स्पष्टीकरण नहीं हो सकता । अतः अन्य साधनोंके आधारसे इस विषय में जो कछ जाना गया है, उसका अति संक्षिप्त सार यहां दिया जाता है :
कनौजमें सीहोजी + नामक भूपति राजा राज्य करते थे, एक बार उन्होंने यात्रार्थ द्वारिका जानेका विचार कर राज्यभार अपने छोटे भाईको देकर कुंअर आसथान ( जो कि उनके यदुवंशी राणीके पुत्र थे ) एवं ५०० सैनिकोंके साथ प्रस्थान किया । सिहांजी जब मारवाड़ पधारे तो राणीने एक स्वप्न देखा । x X X
इधर मारवाड़ प्रान्तके पाली शहर में ब्राह्मण यशोधर राज्य करते थे । उस समय खेड़ नगरके गुहलवंशी राजा महेशने - पालीपर चढ़ाई कर दी, इससे भयभ्रान्त हो यशोधर नगर रक्षणका उपाय सोचने लगे कि किसी सिद्ध पुरुषकी शरण ली जाय । परामर्श करनेपर ज्ञात हुआ कि खरतर गच्छ नायक श्री जिनदत्त सूरिजीका यहीं चतुर्मास है और वे बड़े ही चमत्कारी हैं। उनके मुख्य कार्यकलाप ये हैं :
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छप्पयोंकी पूर्ण प्रति किसी सज्जनको कहीं प्राप्त हो तो हमें भेजने की कृपा करें । छप्पयोंकी आदि अन्aकी संख्या, सम्बन्ध व प्रतिके पत्रसंख्या के हिसाब से यह वर्णन बहुत बड़ा होना सम्भव है ।
+ आधुनिक इतिहासकारोंके मतसे सौंहोजीका जन्म सं० १२५१ कन्नौज से आना १२६८ और स्वर्ग सं० १३३० है । अतः जिनदत्तसूरिका उनके साथ सम्बन्ध होना कहांतक ठीक है, नहीं कहा जा सकता ।
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