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श्रीजिन शिवचन्द सूरि रास
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शाह लाधा कृत श्री जिन शिवचंद सूरि रास
(रचना संवत १७६५ आश्विन शुक्ल पंचमी, राजनगर )
दूहा :शासन नायक समरीये, श्री 'वर्द्धमान' जिनचंद ।
प्रणमुं तेहना पद युगल, जिम लहुं परिमाणंद ॥ १ ॥ 'गौतम' प्रमुख जे मुनिवरा, श्री (सोहम) गणराय ।
'जंबू' 'प्रभवा' प्रमुखने, प्रणमंता सुख थाय ॥ २ ॥ श्री वीर पटोधर परमगुरु, युगप्रधान मुनिराय ।
यावत् 'दुपसह सूरो' लगें, प्रण, तेहना पाय ।। ३ ।। तास परंपर जाणीये, सुविहित गच्छ सिरदार।
'जिनदत्त' ने 'जिनकुशल' जी, सूरि हुवा सुखकार ॥ ४॥ तस पद अनुक्रमे जांणीये, 'जिन वर्द्धमान सुरिंद।
'जिन धर्म सूरी' पाटोधरू, 'जिनचंद सूरी' मुणिंद ।।५।। 'सिवचंद सूरि' जाणीये, देश प्रदेश (पाठा० प्रसिद्ध) छे नाम ।
खरतरगच्छ सिर सेहरो, संवेगी गुणधाम ॥६॥ तस गुण गण नी वर्णना, धुर थी उत्पति सार ।
नाम ठाम कही दाखवू, ते सुणज्यो नर नारि ॥७॥
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