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श्रीजिनराजसूरि रास वखत बलई इम जाणियइ, शास्त्र तणइ बलि न्याय ।
सहको राणा राजवी, पडिस्यइ एहनइ पाय ॥ ४ ॥ पगे पदम झलकइ भलउ, लखण अंगि बत्रीस । ___कइ गढपति कइ गच्छपति' हुइस्यइ विश्वावीस !! ५ ।।
ढाल ५-सुगुण सनेही मेरे लाला । इण जाति । बीज तणउ जिम बाधइ चन्द, तिम बाधइ 'धारलदे' नन्द ।
मात पिता उमहइ आणंद, देवलोक नउ जिम माकन्द ॥२॥ माता सुत नइ ले धवरावइ, बेटा-बेटा कहिय बुलावइ ।
उन्हउ नीर लेइ न्हवरावइ, इम माता मनि आणंद पावइ ॥२॥ आउ मेरा नन्दन गोदि खिलावू, बंगू लटु तुंनइ अणावू । ___केलवि काजल घालइ अखियां, खोलइ ले खेलावइ सखियां ॥३॥ कांनि अडगनिया पाइ पन्हइयां, घमकइ पगि घूघरियां वनियां ।
चंदलउ करि वागउ पहिरावइ, सिरिकसबीकी पाग बनावइ ॥४॥ कइयई माता कंठइ लागई, कइयइ लोटइ माता आगई।
कइयइ घडा ना पाणी डोहइ, कइयइ हसि माता मन मोहइ ।।५।। कइयइ दूधनी दोहणी ढोलइ, कइयइ हीचइ चढि हीडोलइ ।
कइयइ झालइ माखण तरतउ, कइयइ छिपइ माता थी डरतउ॥६॥ कइयइ मा नउ कंचूअउ ताणइ, कइयइ कांधइ चढिय पलाणइ ।
कइयइ हसि मा साम्हउ जोवइ, कइयइं रूसण मांडी रोवइ ॥णा देखी कुंवर कहइ इम माता, इणि सुत दीठां थायइ साता।
मति को पापी नजरि लगावइ, गुली कांठिलउ गलइ बंधावइ ।।८॥ माऊ २ कहतउ पासइ आवइ, कांइ पूत मां एम बुलावइ ।
प्रेम नजरि माँ साम्ही मेलइ, दूध मांहि जाणे साकर भेलइ ॥४॥
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