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ऐतिहासिक जन काव्य संग्रह भाग सोभाग वइराग गुण आगला,
जीवता कलियुगि जीव जाण्यउ । अन्तलगि आतम धरम कारिज(क)री,
स्वर्ग पहुतां पछी सुर वखाण्यउ ॥ ३ ॥ नमो० ॥ खरतर सेवकां सुरतरू सारिखउ,
कष्ट संकट सवि दूर काजइ । "हर्षनंदन" कहइ चतुविध श्रीसंघ,
दिन दिन दौलति एम दीजइ ॥ ४ ॥ नमो० ॥
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