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प्रति परिचय प्रस्तुत ग्रन्थमें प्रकाशित काव्योंकी मूल प्रतियां कबकी लिखी हुई और कहांपर हैं ? इसका उल्लेख कई कृतियोंके अन्तमें यथा स्थान मुद्रित हो चुका है। अवशेष काव्योंके प्रतियोंका परिचय इस प्रकार है :(अ) १ गुरुगुण षट्पद, २ जिनपति सूरि धवलगीत, ३ जिनपति
सूरि स्तूप कलश, ४ जिनकुशलसूरि पट्टाभिषेकरास, ५ जिनपद्मसूरिपट्टाभिषेकरास, ६ खरतर गुरुगुण वर्णन छप्पय, ७ जिनेश्वरसूरि विवाहलो, ८ जिनोदयसूरि विवाहलो, ह जिनोदयसूरि पट्टाभिषेक रास, १० जिनोदयसूरि गुण वर्णन छप्पय, ये कृतियां हमारे संग्रहकी सं० १४६३ लि० शिवकुञ्जरके स्वाध्याय पुस्तक* (पत्र ५२१ ) की प्रतिसे नकल
की गयी है। (आ) १ जिनपति सूरिणाम् गीतम् , २ भावप्रभसूरि गीत, ये दो
कृतियें हमारे संग्रहकी १६ वीं शताब्दीके पूर्वार्द्धकी लिखित
प्रतिसे नकल की गयी हैं। (इ) जिनप्रभसूरि गीत नं० १, २, ३, जिनदेवसूरि गीत और
* ॥९०॥ संवत् १४९३ वर्षे वैशाख मासे प्रथम पक्षे ८ दिने सोमे श्री बृहत् खरतर गच्छे श्रीजिनभद्रसूरि गुरौ विजयमाने श्रीकीतिरत्नसूरीणां शिष्येण शिवकुंजर मुनिना निज पुण्यार्थ स्वाध्याय पुस्तिका लिखिता चिरंनन्दतात् ॥ श्री योगिनीपुरे ॥ श्री ॥
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