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युगप्रधान आलजा गोतम्
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। युगवान आलजा गीतम् ॥
आसू मास वलि आवीयउ, पूज्यनी, आयउ दीवाली पर्व पू० ।
काती चउमासौ आवीयउ, पूर आया अवसर सर्व ॥१॥ तुम्हे आवौ रे श्रियादे का नंदन, तुमे बिनु घड़िय न जाय पू०।
तुम्हे बिन अलजी जाय पूज्य० ॥ तुम्हे०॥ शाहि सलेम वली उंबरा, पू० संभारइ सहु कोइ । __ धर्म सुणावउ आविनइ पू०, जीव दया लाभ होई ॥तु॥२॥ श्रावक आया वांदिवा पू०, ओसवाल नइ श्रीमाल ।
दरशण घउ इक वार कउ, पू० वाणि सुणावउ विशाल ॥तु०॥३॥ बाजउठ मांड्यउ बसणइ, पू० कमली मांडी सुघाट ।
वखाण नी वेला थइ पू०, श्रीसंघ जोयइ वाट आपू०॥तु॥४॥ श्राविका मिलि आवी सहु, पू० वांदण बे कर जोड़।
वंदावी धर्मलाभ द्यौ पू०, जिम पहुंचइ मन कोड़ि ॥०॥॥५॥ श्राविका उपधान सहु वहै पू०, मांड्यउ नंदि मंडाण ।
माल पहिरावउ आविनइपू०, जिम हुवै जन्म प्रमाग पू॥तु॥६॥ अभिग्रह वांदण उपरि पूज्य०, कीधा हुंता नर नार ।
ते पहुंचावउ तेहना, पू० वंदावउ एक वार ॥पू०॥तु०॥७॥ परव पजूसण वहि गया पूज जी, लेख वान्छै सहु कोय ।
मन मान्या आदेश द्यउ, पू० शिष्य सुखी जिम होय॥०॥तु०॥८॥
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