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________________ ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह कर्मचन्द परगट पद ठवणो कीयो, संघ भगति करि सयण संतोषीयउ । संतोषिया जाचक दान दे, किद्ध कोडि पसाउ ए । संग्राम मंत्री तणउ नन्दन, करइ निज मनि भाउ ए ।। नव ग्राम गइंवर दिद्ध अनुक्रमि, रंग धरि मन्त्री वली। मांगता अश्व प्रधान आप्या, पांचसइ ते सवि मिली ॥ २० ॥ 'इश परि लाहुरि उच्छव अति घणा, कीधा श्री संघ रंगि बधावणा । इम चोपडा शाख शृङ्गार गुणनिधि, साह चांपा कुल तिलउ । ___धन मात चांपल देइ कहीय, जासु नन्दन गुण निलउ ।। विधि वेद रस शशि मास फागुन, शुक्ल बीज सोहामणी। थापी श्री जिनसिंह सूरि, गुरुद्यउ संघ बधामणी ॥ २१ ।। राग-धन्याश्री ढाल-(जीरावल मण्डण सामो लहिस जी) अविहडिलाहुरि नयर बधामणाजी, बाज्या गुहिर निसांण । पुरि पुरि जी (२) मंत्री बधाऊ मोकल्याजी ।। २२ ।। हर्ष धरी श्रीजी श्रीगुरु भणी जी, बगसइ दिवस सुसात । वरतइ जी (२) आण हमारी, जां लगइ जी ।। २३ ।। मास असाढ़ अठाइ पालवी जी, आदर अधिक अमारी। ___ सघलइ जी (२) लिखि फुरमाण सु पाठवीजी ।। २४ ।। वरस दिवस, लगि जलचर मूकियाजी, खंभनगर अहिठाणि । । गुरु नइ जी (२) श्रीजी लाभ दीयउ घणउजी ।।२५।। Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002600
Book TitleAetihasik Jain Kavya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherShankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
Publication Year
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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