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श्रीपुण्यसागर गुरु गीतम्
मुनि हर्षकुल कृत महो० श्रीपुण्यसागर गुरु गीत
राग:---सूहव श्रीजगगुरु पय वंदीयइ, सारद तणइ पसायजो ।
__ पंचइंद्रिय जिणि वशिकीय, ते गाइसु मुणिरायजी ॥१॥ मन शुद्धि भवियण भावियइ श्रीपुण्यसागर उवझाउ जी।
__ पालइ शील सुदृढ़ सदा, मन वंछित सुखदाउ जी । विमल वदन जसु दीपतउ, जिम पूनम नउ चंद जी ।
मधुर अमृत रस पीवता, थाइ परमाणन्द जी ।।मन॥२॥ दस विधि साधु धरम धरइ, उपशम रस भण्डारी जी
क्षमा खड़ग करि जिन हण्यउ, हेलइ मदन विकारो जी ॥३॥मन।। ज्ञान क्रिया गुणि सोहतउ जसु, पणमइ नरवर राउ जी।
नामई नव निधि संपजइ, सेवइ मुनिवर पाउ जी ॥४॥म०॥ धन उत्तम दे उरि धरयउ, उदयसिंह कुलि दिनकार जी। जिन शासन मांहि परगड़उ, सुविहित गच्छ सिणगार जी ॥५॥म०॥ श्रीजिनहंस सूरिसरइ सइ हथि दीखिय शीस जी । हरषी "हरष कुल" इम भणइ, गुरु प्रतपउ कोड़ि वरीस जी ॥६॥म०।।
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