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ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह
শ্লী জিলত্রুহি ৰ নিম্ম হা
दोहा :-राग असावरी जिनवर जग गुरु मन धरि, गोयम गुरु पणमेसु ।
___सरस्वती सद्गुरु सानिधइ, श्री गुरु रास रचेसु ॥ १ ॥ बात सुणी जिम जन मुखइ, ते तिम कहिस जगीस ।
अधिको ओछो जो हुवइ, कोप(य?) करो मत रीस ॥२॥ महावीर पाटई प्रगट, श्री सोहम गणधार ।
तास पाटि चउसट्ठिमइ, गच्छ खरतर जयकार ॥ ३ ॥ संवत सोल बारोत्तरइ, जैसलमेरु मंझार ।
श्री जिन माणिक सूरि ने, थापिउ पाट उदार ॥ ४ ॥ मानियो राउल माल दे, गुण गिरूओ गणधार ।
महीयलि जसु यश निरमलो, कोय न लोपइ कार ॥ ५ ॥ तेजि तपइ जिम दिनमणि, श्री जिनचन्द्र सूरीश ।
सुरपति नरपति मानवी, सेव करइ निश दोश ।। युगप्रधान जगि सुरतरू, सूरि शिरोमणि एह।
श्री जिन शासनि सिरतिलौ, शील सुनिम्मल देह ॥ ७ ॥ पूरब पाटण पामियो, खरतर विरुद अभंग ।
संवत सोल सतोतरे, उजवालइ गुरू रंगि ॥ ८ ॥ साधु विहारे विहरतां, आया गुरु गुजराति ।
करइ चउमासो पाटणे, उच्छव अधिक विख्यात ।। ६ ।।
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