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________________ ३० ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह पनरह सय तापस पबोह दिखिय जिण सत्तिहि । पारावइ इग पत्ति सव्व खीरह घिय खंडहि ॥ अखीण महाणसि लट्ठिवर, गोइम सामिय गुण तिलउ । जसु नामिण सिज्झइ कज्ज सवि, सोझायउ तिहुयण तिलउ ॥२१॥ सो जयउ जेण वहियं पंचमि (घाउ) चउत्थिपजूसरण । . पख चउदसि जाया नम्मविया कालकाइरियो। कालिकसूरि मुणिंद जयउ तिहुअण मण रंजण । उज्जेणो गदभिल्ल राय मूलह निकंदण ।। सरसइ साहुणि कज्जि सिंघ लंछण जिणि रखिय । सोहम्माइवईद सयल आउखउ अखिय ॥ मरहट्ठदेसि पयठाणपुरि, सालवाहण अवरोहपर। सो कालिगसूरि संघह जयउ, चउत्थि पजूसरण विहिय धरि ॥२२॥ जिणदत्त नंदउ सुपहु जो भारहमि जुगपवरो। अंबाएवि पसाया, विन्नाउ नागदेवेण ॥ १॥ नागदेव वर सावएण उज्जित' चडेविणु । पुछिय जुगवर अंब एवि उववास करे विणु ।। तसुर सत्ति तुट्ठाय तीय, करि अखरि लिखिया। भणिउ जवाईय पम्ह सय ४, जुगपवर सुधम्मिय ॥ भमिऊण पहवि अणहिल्लपुरि, जुगपहाण तिणि जाणियउ । जिणदत्तसूरि नंदउ सुपहु, अम्बाएवि वखाणियउ ॥२३।। गह धम्मो देव सिसी फुग्गण कन्नाय च (उ)दसी दिवसे । पंडिय वजयाणंदो निज्जणिय "अभयतिलकेण" ।। १॥ १ उजित चंदेषिणु २ तासु ३ सघाइय ४ सेय Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002600
Book TitleAetihasik Jain Kavya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherShankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
Publication Year
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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