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खरतर गुरुगुण बर्णन छप्पय
जिणवल्लह जिणदत्त सूरि जिणचन्द नमिज्जइ ।
जिणवय जिणेसर जिणप्रबोह जिणचंद धुणिज्जइ ।
जिणकुशल सूरि जिणपरम गुरु, जिणलद्वी जिणचंद गुरु ।
जिउदय पट्टि जिणराजवर, संपय सिरि जिण भद्दगुरु ||४|| अग्यारह सइ सतसइ जिणवल्लह पद दिउ ।
इग्यारह गुणहत्तरइ तहइ जिणदत्त पसिद्धउ । बारह पंचग्गलइ तहवि जिणचन्द मुणीसरु |
बारइ तेवीसइ सहिय जिणपत्ति जईसरु | जोगीस जिणेसर सूरि गुरु, बारह अठहत्तर वरसि ।
जिrपत्रोह गच्छाह वइ, तेरह इगतीसा वरसि ।। ५ ।। तेरह इगताला वरसि पट्ट जिणचन्दहु लद्वउ ।
तेरहस्य सत्तहत्तरइ सहिय जिणकुशल पसिद्धउ । तेरह नया एम जाणि जिणपडम गणीसरु ।
लद्ध नाम जिनलबद्ध सूरि चहदय सय वछरि । जिणचन्द सूरि गच्छह तिलड, चउदह सय छडोत्तरइ ।
जिउदयसूरि उदयवंत पहु, सय चौउदह पनरोत्तरइ || ६ || अग्यारह सतसठइ जेण वल्लह पद दिद्धरं ।
आसाढ़ सिय छट्ठि चित्तकोटहि सुपसिद्धउ । किसण छट्टि वइसाख इग्यारह गुणहत्तरि ।
सूरि राउ जिणदत्त ठविय चित्तउड़ह उप्परि ।
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२ व ३ लबधि, ४ सूरि ।
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