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XII १८ वों का पूर्वाद्ध
जिनरंग (पृ० २३१), जिनरत्नसूरि (२३४ से २४४, ४१८), जिनचंदसूरि गीत (पृ० २४५), जिनेश्वर सूरि (पृ० ३१४ ), कीर्तिरत्न सूरि छन्द (पृ० ४०७ ), जिनचंद्र (पृ० ४३०), जिनधर्म (पृ० ३३५), भावप्रमोद (पृ० २५८), सुखसागर
(पृ० २५३ ), समयसुन्दर गीत (पृ० १४८ ) आदि । शेषाद्धजिनसुख-जिनहर्षसूरि (पृ० २६१ से २६३ ), शिवचंद्रसूरि रास (पृ० ३२१), जिनचंद्र (पृ० ३३७ ), कीर्तिरत्न सूरि
(पृ० ४१३) आदि। १६ वीं का पूर्वाद्ध
देवविलास (पृ० २६४ से २६२), जिनलाभ-जिनचंद्र (पृ००
२६३ से २६६ तथा ४१४ से ४१६) जयमाणिक्य छंद (पृ० . ३१०) आदि। शेषाद्ध
जिनहर्ष, जिनसौभाग्य, जिनमहेन्द्रसूरि गीत (पृ० ३०० से ३०४ ), ज्ञानसार (पृ० ४३३ ) आदि ।
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