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. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह घातः-सयल संघह सयल संघह केलि आवासु ।
अणहिलपुर वर नयर गुजरात धर मुखह मंडणु। देस दिसंतरि तहि मिलिय, सयल संघ वरिसंत जिम घणु। पाट धुरन्धर संठविउ, मिलिय मिलावइ भूरि ।।
___ संघ महोछवु कारावइ, वज्जंतइ घणतूरि ॥ २२ ॥ त आदहिए आदिजिणिद भरहु, नेमि जिम नारायणु ।
____ पासह ए जिम धरणिंदु, जिम सेणिय गुरु वीर जिणु । तिण परि ए सुह गुरु भत्ति, महतियाणि परि सलहिय ए।
पडिवनए तहि परिपुन्न, विजयसीहु जगि जस लियइ ए॥२३॥ संघवइ ए सामल वंशि, देसि विदेसहि जाणिय ए।
घण जिम ए घणु वरिसंतु, वीरदेव वखाणिय ए । कारइए जीमणवार, साहमिय वछल्ल वर ।
संघह ए कप्पड वार, गुरुयभत्ति गुरु पूज कर ॥ २४ ॥ दोसई ए अहिणव बात, पाटणि दरिसण संख हूय ।
सूरिहि एसउ सउ-सात साहु, साहुणि चउवीस-सय । सदई ए सउ तेजपालि घरि, तेडिउ पहिरावियइ ।
जइ सई ए दूसमकालि, चन्द्रहि नामउं लिहावियइ ॥ २५ ॥ घर घरि ए मंगल चार, पुन्न कलस घर घरि ठविय ।
घर घरि ए वंदर वाल, घरि घरि गूडी ऊभविय ॥ २६ ॥ वन्जिय ए तूर गंभीर, अंबरू वहिरिउ पडिरमण ।
नाचहि ए अबलिय बाल, रञ्जिय सुर धवला रवेहिं ॥ २७ ॥ अणहिलि ए पुर मंझारि, नर नारी जोवण मिलिय ।
किसउ सु तेजउ साहु, जसु एवडउ उछव रलिय ॥२८॥
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