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संक्षिप्त कविपरिचय
१०७ ६६ रूपहर्ष (२४१) आप राजविजयजीके शिष्य थे। ७० लब्धिकल्लोल(७८-१२१-१२२)देखें यु०जिनचन्द्रसूरि पृ०२०६ ७१ लब्धिशेखर (६८) ७२ ललितकीर्ति (२०७-४०५) देखें यु० जिनचन्द्रसूरि पृ०२०६
७३ लाधशाह (३२१) कडुआमती (कडुवा-खीमो-वीरो-जीवराज तेजपाल-रतनपाल-जिनास-तेज-कल्याण-लघुजी थोभणशि० ) थे। आपके रचित, १ जम्बूरास (१७६४का० सु० २ गुरु सोहीगाम) २ सूरत चैत्य परिपाटी (१७६३ मिव ब० १० गु० सूरत) ३ पृथ्वीचन्द्रगुणसागर चरित्रबाला० ( १८०७ मि० सु०५ रवि० राधणपुर) प्राप्त है। ___ ७४ वसतो ( २६५) आपके रचित् १ लोद्रवास्त० ( १८१७ मि० व ५ र०) २ वीशस्थानक स्त० गा० १६, ३ रात्रिभोजन सझाय, ४ पार्श्वनाथ स्तवनादि उपलब्ध है।
७५ विमलरत्न ( २०८)
७६ विद्याविलास ( २४५) आपके रचित कई संस्कृत अष्टक आदि हमारे संग्रहमें है।
७७ विद्यासिद्धि (२१४) ७८ बेलजी ( २५१) ७६ श्रीसार (६१-६४) देखें युगप्रधान जिनचन्दसूरि पृ० २०७ ८० श्रीसुन्दर ( १७१) ,
पृ० १७२ ८१ समयप्रमोद (८६-६६) देखें यु० जिनचन्द्रसूरि पृ० १७२ ८२ समयसुन्दर (८८-१०६-७-८-६-२६-२७-२८-२६-३१
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