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१०४ ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह .. २८ चन्द्रकीर्ति (४०६) देखें यु० जिनचंद्रसूरि पृ० २०८ । ... ६ जयकीर्ति (३३४) कविवर समयसुन्दरजीके शि० वादी हर्षनंदनजीके शिष्य थे। ___३० जयकीर्ति द्वि० (४११-१२) आप कीर्तिरत्नसूरि शाखाके अमरविमल शि० अमृत सुन्दरजीके शिष्य थे, आपके रचित १ श्रीपाल चारित्र ( १८६८ जेसलमेर) २ चैत्रीपूनम व्याख्यान आदि उपलब्ध हैं।
३१ जयनिधान (१४५) देखें यु० जिनचंद्रसूरि पृ० २०६ । ३२ जयसोम (११८) देखें यु० , पृ० १६७ । ३३ जल्ह (१३८)। ३४ जिनचन्द्रसूरि (४१८) उसी ग्रन्थमें राससार पृ० २६६ ३५ जिनसमुद्रसूरि (३१५-१६) देखें इसी ग्रन्थमें राससार पृ०७५५ ३६ जिनेश्वरसूरि (४३०) बेगड़ गुणप्रभसूरि शि०
३७ देवकमल (१३६ ) इनका नाम जइतपदबेलिमें आता है अतः साधुकीर्तिजीके गुरु-भ्राता होना सम्भव है।
३८ देवचंद (२६४)। ३६ देवीदास (१४७)। ४० धर्मकलश (१६)। ४१ धर्मकीर्ति ( १८६ ) देखें यु० जिनचंद्रसूरि पृ० १८३ ।
४२ धर्मसी (२५०-५२) देखें राजस्थान पत्र वर्ष २ अंक २ में प्र. मेरा लेख। । ४३ नयरंग ( २२६ ) देखें यु० जिनचंद्रसूरि पृ० १६५ ।
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