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संक्षिप्त कविपरिचय
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१७ कीर्तिवर्द्धन ( ३३३ ) जिनहर्ष ( आद्यपक्षी ) सूरिजीके शिष्य दयारत्न ( कापर हेडारास कर्त्ता १६६५ ) के आप शिष्य थे, आपके रचित सदयवछसावलिंगा चौ० (१६६७ विजयदशमी ) प्राप्त है ।
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१८ कुशलधीर ( २०७ ) देखें युगप्रधान जिनचंद्रसूरि पृ० १६४ ।
,, १६६।
१६ कुशललाभ ( ११७ ),,
२० खइपति ( १३८ )
२१ खेमहंस ( २१७ ) क्षेमकीर्ति ( शाखाके आदि पुरुष ) जीके शिष्य थे, आपकी रचित मेघदूत दीपिका उपलब्ध है। जयसोम, गुणविनय आपहीकी परम्परामें थे ।
२२ खेमहर्ष (२४२-४३) आपके रचित कई स्तवन हमारे संग्रहमें हैं।
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२३ गुणविजय ( ३६४ ) आपके रचित १ विजयप्रशस्ति काव्यके अन्तिम ५ सर्गमूल और समग्रग्रन्थपर टीका २ कल्प | कल्पलता टीका ३ सातसौ बीस जिन स्त० आदि उपलब्ध हैं।
२४ गुणविनय ( ६३-६६-१००-१२५-१७२-२३०) देखें' यु० जिनचंद्रसूरि पृ० २०० ।
२५ गुणसेन (१३६) सागरचंद्रसूरि शाखाके वा० सुखनिधानजी के आप शिष्य थे आपके रचित कई स्तवन हमारे संग्रहमें हैं । आपके यशोलाभ नामक शिष्य थे जो अच्छे कवि थे ।
२६ चारित्रनंदन ( २६७ )।
२७ चारित्रसिंह ( २२५ ) देखें यु० जिनचंद्रसूरि पृ० १६७ ॥
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