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________________ श्री विमलप्रभाश्री इनका जन्म २०१४ माघ वदि ४ को सिवाना में हुआ था। ललवाणी गोत्रीय श्री वंशराज जी एवं श्रीमती प्यारी देवी इनके माता-पिता थे। इनका जन्मनाम नारंगी कुमारी था। वि०सं० २०३३ माघ सुदि ११ को सिवाना में ही आप दीक्षा ग्रहण कर श्री चम्पाश्री जी की शिष्या बनीं और विमलप्रभाश्री नाम प्राप्त किया। आप व्याकरण, काव्य, कोश, न्याय एवं जैन साहित्य की अच्छी ज्ञाता हैं। आप अपनी १० शिष्याओं के साथ विचरण कर रही हैं। सूर्यप्रभाश्री और विमलप्रभाश्री ने अपनी स्वर्गीया गुरुवर्या की स्मृति में गढ़सिवाना में ही चम्पावाड़ी नामक भव्य स्मारक का निर्माण सम्पन्न कराया है। सम्वत् २०५७ में इसका प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ था। दिव्यप्रभाश्री लोहावट निवासी भंसाली गोत्रीय श्री मेघराज जी एवं श्रीमती मूली बाई के घर वि०सं० १९९९ मिगसर सुदि ११ को इनका जन्म हुआ। जन्मनाम चन्द्राकुमारी था। स्वनामधन्या प्रवर्तिनी पुण्यश्री जी महाराज की शिष्या श्री पवित्रश्री जी के पास चन्द्राकुमारी ने वि०सं० २००९ मिगसर सुदि पूनम को लोहावट में दीक्षा ग्रहण की। इनका दीक्षा नाम दिव्यप्रभाश्री रखा गया। आप अच्छी विदुषी और व्याख्यात्री हैं, कई बरसों से गुजरात की ओर ही विचरण कर ही हैं। आपका विस्तृत शिष्या-प्रशिष्या मण्डल है। श्रीकमलश्री प्रवर्तिनी श्री स्वर्णश्रीजी महाराज की शिष्या श्री चन्दनश्रीजी की परम्परा में कमलश्रीजी विद्यमान हैं। मंदसौर निवासी श्री मन्नालाल जी लोढ़ा व हुल्लास देवी इनके पिता-माता थे। वि०सं० १९६९ आषाढ़ सुदि सप्तमी को इनका जन्म हुआ। जन्म नाम कंचन कुमारी था। संवत् २००२ वैशाख सुदि तीज को मंदसौर में दीक्षा ग्रहण की और चन्दनश्रीजी की शिष्या बनीं। 卐 संविग्न साधु-साध्वी परम्परा का इतिहास (४१९) Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002594
Book TitleKhartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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