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________________ श्री चन्द्रप्रभाश्री) वि०सं० १९९५ माघ वदि १३ को बीकानेर में नाहटा गोत्रीय बालचन्द्र जी की धर्मपत्नी धापू बाई की कुक्षि से इनका जन्म हुआ। इनका जन्म नाम मोहिनी कुमारी था। वैराग्यवासित होकर वि०सं० २००८ फाल्गुन सुदि १२ को खुजनेर (मालवा) में दीक्षा ग्रहण कर विचक्षणश्री जी की शिष्या बनीं और चन्द्रप्रभाश्री नाम प्राप्त किया। जैन साहित्यमहारथी श्री अगरचन्द जी भंवरलाल जी नाहटा की आप भतीजी हैं। आप अत्यन्त विदुषी और व्यवहारदक्षा हैं। आप अपने १४ साध्वियों के साथ मालपुरा की प्रतिष्ठा वि०सं० २०५८ में सम्मिलित हुई थीं। आपके द्वारा पठित मंगल पाठ (मांगलिक) बड़ा प्रभावशाली और विघ्नहारी है। आपका २०५९ का चातुर्मास जयपुर में हुआ। श्री मनोहरश्री इनका जन्म पादरा में वि०सं० १९९३ श्रावण शुक्ला १ को श्रीमाल चिमनभाई-चन्दनबाला के घर हुआ था। आपका जन्मनाम मधुकान्ता था। वि०सं० २०११ मार्गशीर्ष सुदि ११ को पादरा में दीक्षा ग्रहण कर प्रवर्तिनी श्री विचक्षणश्री जी की शिष्या बनीं। आपका दीक्षा नाम मनोहरश्री रखा गया। आप शतावधानी हैं, व्याख्यान में दक्ष और कुशल लेखिका भी हैं। पुरातनस्थलों का जीर्णोद्धार व संघ के विकास हेतु आप सर्वदा प्रयत्नशील रही हैं। - आपकी अनेक शिष्यायें भी विदुषी और लेखिकायें हैं। ५ साध्वियों ने शोध प्रबन्ध लिखकर पीएच०डी० की उपाधि भी प्राप्त की है१. डॉ० सुरेखाश्री (आप वर्तमान में डी०लिट् कर रही हैं) २. मधुस्मिताश्री ३. डॉ० दिव्यगुणाश्री ४. सुमितप्रज्ञाश्री ५. हेमरेखाश्री मालपुरा दादावाड़ी की प्रसिद्ध प्रतिष्ठा के समय आप अपने १६ शिष्याओं के साथ विद्यमान थीं। श्री सुरंजनाश्री इनका बचपन का नाम रमा कुमारी था। वि०सं० १९९३ माघ सुदि को पादरा में इनका जन्म हुआ। आपके माता-पिता मेहता बाडीलाल भाई और इच्छा बहेन थे। वि०सं० २०१२ आषाढ़ सुदि १० के दिन श्री विचक्षणश्री जी से दीक्षा ग्रहण कर सुरंजनाश्री नाम प्राप्त किया। आप मिलनसार, सरलहृदया और विदुषी साध्वी हैं। सिद्धांजना आदि ६ साध्वियों के साथ आपका वर्ष २०५९ का चातुर्मास गढ़सिवाना था। संविग्न साधु-साध्वी परम्परा का इतिहास (४१७) Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.002594
Book TitleKhartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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