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११. उपाध्याय सुखलाभ
१२. वाचक जगसी (जिनहंस) १३. महो० माणिक्यमूर्ति
१४. पं० भावहर्ष १५. उपाध्याय अमरविमल १६. पं० अमृतसुन्दर १७. पं० महिमाहेम
१७. पं० जयकीर्ति १८. पं० हर्षविजय
१८. पं० प्रतापसौभाग्य १९. पं० कल्याणसागर
१९. पं० अभयचन्द्र २०. पं० समुद्रसोम २१. पं० युक्तिअमृत २२. श्री जिनकृपाचन्द्रसूरि (कीर्तिसार) २३. श्री जयसागरसूरि-पं० आनन्दमुनि, उ० सुखसागर,
वाचक राजसागर, पं० जीतसागर, मयासागर, हेमसागर, विवेकसागर, मग्नसागर, वर्धनसागर, उदयसागर, मंगलसागर, मतिसागर, कीर्तिसागर,
तिलकभद्र आदि २५ शिष्य २४. उपा० सुखसागर
२५. मुनि कांतिसागर पं० जयकीर्ति के पट्टधर पं० प्रतापसौभाग्य की परम्परा में दानविशाल हुए। उनके शिष्य ऋद्धिकमल हुए, जिनके प्रशिष्य और अमृतसार के शिष्य प्रीतिविजय (प्यारेलाल) हुए। इनका देहान्त लगभग ३५ वर्ष पूर्व बीकानेर में हुआ।
१७. पं० जयकीर्ति १८. पं० प्रतापसौभाग्य १९. पं० अभयचन्द्र १९. पं० दानविशाल
२०. पं० ऋद्धिकमल २१. पं० अमृतसार २२. पं० प्रीतिविजय (प्यारेलाल)
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खरतरगच्छ का इतिहास, प्रथम-खण्ड
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