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________________ एक लघु कृति मिलती है। इनके दूसरे शिष्य सोमकुंजर थे। इनके द्वारा रचित कुछ अलंकारिक पद्य प्राप्त होते हैं। जैसलमेर स्थित संभवनाथ जिनालय की बृहत्प्रशस्ति इन्हीं की रचना है । विज्ञप्तित्रिवेणी से ज्ञात होता है कि सत्यरुचिगणि, पं० मतिशीलगणि आदि भी इन्हीं के शिष्य थे, परन्तु इनके द्वारा रचित कोई रचना का उल्लेख नहीं मिलता । जयसागर के उक्त शिष्यों के अतिरिक्त रत्नचन्द्र नामक एक शिष्य भी थे जो उक्त सभी शिष्यों से ज्यादा प्रसिद्ध थे । जयसागर की परम्परा में आगे चलकर भानुमेरु के शिष्य ज्ञानविमल एवं तेजोरङ्ग गणि हुए। ज्ञानविमल पाठक की प्रमुख रचना है - महेश्वर कवि रचित शब्दभेदप्रकाश (कोश) पर विशद टीका । उक्त कोश पर रची गयी यह एक एकमात्र टीका है । पाठक श्रीवल्लभ ने अपने शिलोञ्छ नाममाला टीका आदि की प्रशस्तियों में जो गुरु-परम्परा दी है उसके अनुसार इस प्रकार वंशवृक्ष बनता है । (देखिये पृष्ठ ३४६ पर वंशवृक्ष) पाठक श्रीवल्लभ व्याकरण, कोश और काव्य साहित्य के अद्वितीय विद्वान् थे । महो० श्रीवल्लभ द्वारा रचित अन्य कई कृतियाँ भी मिलती हैं :१. स्वोपज्ञजिनस्तववृत्ति - वि० सं० १६५५ के पश्चात्, २. लिङ्गानुशासन - दुर्गपदप्रबोधवृत्ति - वि० सं० १६६१, ३. विजयदेवमहात्म्यमहाकाव्य - वि० सं० १६८४ के आस-पास, ४. निघण्टुशेषनाममालाटीका (अप्राप्य), ५. सारस्वतप्रयोगनिर्णय, ६. केशापदव्याख्या, ७. शिलोञ्छनाममालाटीका, ८. शेषसंग्रहदीपिका, ९. संघपतिरूपजीवंशप्रशस्ति आदि । श्रीवल्लभ के सम्बन्ध में विस्तार के लिये द्रष्टव्य- अरजिनस्तव की भूमिका । श्रीवल्लभ द्वारा प्रणीत ग्रन्थों के अवलोकन से प्रतीत होता है कि इनका बाल्यकाल और प्रौढ़ावस्था राजस्थान में व्यतीत हुआ, किन्तु विजयदेवमाहात्म्य को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि ये अपनी वृद्धावस्था में गुजरात पहुँचे और वहीं विजयदेवसूरि के चारित्र और तप से प्रभावित होकर विजयदेवमाहात्म्य की रचना की। इस आधार पर उनका स्वर्गवास भी वहीं हुआ होगा, ऐसा माना जा सकता है। * संविग्न साधु-साध्वी परम्परा का इतिहास Jain Education International 2010_04 ** For Private & Personal Use Only (३४५) www.jainelibrary.org
SR No.002594
Book TitleKhartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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