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________________ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only (३४६) खरतरगच्छ का इतिहास, प्रथम खण्ड www.jainelibrary.org जिन भद्रसूरि ( खरतरगच्छ मूल शाखा ) चारित्रसार उपाध्याय भानुमेरु उपाध्याय ज्ञानविमल उपाध्याय ज्ञानसुन्दर रत्नचन्द्र उपा० (प्रधानशिष्य) भक्तिलाभ उपाध्याय भावसागर गणि जीवकलश जयवल्लभ + मधराज गणि ( हारचित्रबंध] स्तोत्र के रचनाकार) वाचक सोमचन्द्र कनककलश तेजोरंग गणि श्रीवल्लभ उपाध्याय (प्रसिद्ध रचनाकार) जिनराजसूरि (वि०सं०] १४६१ में स्वर्गस्थ ) जयसागर उपाध्याय सोमकुंजर (जैसलमेर स्थित संभवनाथ जिनालय की बृहद्यशक्ति के कर्ता) उपा० सत्यरुचि (इनकी प्रार्थना पर वि०सं० १५०३ में जयसागर उपा० ने पृथ्वीचन्द्र चरित्र की रचना की, इस कार्य में उन्हें अपने प्रधान शिष्य रत्नचन्द्र गणि से सहायता प्राप्त हुई।) जिनवर्धनसूमि (खरतरगच्छ पिप्पलकशाखा के आदिपुरुष) पं० मतिशील (विज्ञप्ति त्रिवेणी में उलिखित)
SR No.002594
Book TitleKhartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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