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महोपाध्याय समयसुन्दर
वादी हर्षनंदन
सहजविमल
मेघविजय
मेधकीर्ति
महिमासमुद्र
सुमतिकीर्ति माइदास
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हरिराम
हर्षकुशल
जयकीर्ति
दयाविजय
मेघरत्न
रामचंद
विद्याविजय धर्मसिंह
हर्षनिधान
राजसोम
कीर्तिकुशल उ.काशीदास
वीरपाल
संविग्न साधु-साध्वी परम्परा का इतिहास
ज्ञानलाभ
हर्षसागरसूरि
ज्ञानतिलक
पुण्यतिलक
कीर्तिनिधान
वा. ठाकुरसी
कीर्तिसागर वा. कीर्तिवर्धन ( कुशलो)
समयनिधान
महो. पुण्यचंद्र
, विनयचद्रकवि प्रतापसी
नयणसी
मुरारि
पुण्यविलास
अमरविमल (आसकरण) भीमजी
बा. पुण्यशील मानचंद्र
भीम जी
सारंगजी
सूरदासजी*
प्रशिष्य परम्परा बीसवीं शताब्दी तक अविछन्न रूप से चलती रही। देखिए वंश वृक्ष :स्वदीक्षित शिष्य थे, जिनमें से कई तो अति प्रतिभासम्पन्न, महाविद्वान और वादी थे। आपकी शिष्य
समयसुन्दर जी का शिष्य परिवार अत्यन्त विशाल था। ऐसा कहा जाता है कि इनके ४२
वोधाजी
भक्तिविलास
कल्याणचन्द्र
आलमचन्द
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माइदास
. जयवन्त
हजारीनंद
जयरत्र
आणंदचन्द
भवानीराम
कस्तूरचन्द
प्रतापसी
चतुर्भुज
भगवानदास
कपूरचंद
हंसराज
धर्मदास
लालचन्द
माणकचंद
कपूरचन्द
उदेचन्द
हर्षचंद
गुलाबचंद
- जीवणजी
मनसुख
. तनसुखजी
. दौलतजी
भागचन्द
अमरचन्द
रामपाल***
चुन्नीलाल**
खेमचन्द
चुन्नीलालजी
(३०३)
*सूरदासजी से उदेचंदजी तक की परंपरा आचार्य शाखा भंडार, बीकानेरस्थ एक पत्र पर से दी गई है। ** चुन्नीलाल जी कुछ वर्षों पूर्व तक विद्यमान थे। *** वर्तमान
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