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आचार्य श्री जिनविजयेन्द्रसूरि
श्रीपूज्य श्री जिनचारित्रसूरि जी के पट्ट पर भट्टारक श्रीपूज्य श्री जिनविजयेन्द्रसूरि जी बैठे। आपका जन्म सं० १९७२ में सौराष्ट्र के भावनगर के समीप एक गाँव में हुआ था। गाँधी गोत्रीय कल्याणचंद आपके पिता और विमला देवी माता थी। आपका जन्म नाम विजयलाल या विजयचंद था। सं० १९८७ वैशाख शुक्ला सप्तमी के दिन मालपुरा ग्राम में क्षेमधाडशाखीय उपाध्याय शिवचन्द्रगणि की परम्परा के अन्तर्गत उ० श्री श्यामलाल जी गणि के हाथ से आपकी दीक्षा हुई। आपका दीक्षा नाम विजयपाल था। सं० १९९८ माघ शुक्ला दशमी को श्रीसंघ कृत नन्दि महोत्सवपूर्वक बीकानेर नरेश गंगासिंह जी द्वारा आचार्य पद-गच्छेश पद प्राप्त हुआ।
बीकानेर से चलकर अजीमगंज, जीयागंज, भागलपुर, कलकत्ता, नागपुर, रायपुर, बम्बई, कलिंगपोंग, दार्जिलिंग, जयपुर, उदयपुर, रतलाम, उज्जैन आदि अनेक नगरों में विचरते हुए आपने धर्म प्रवचनों द्वारा जैन धर्म की प्रभावना की। आपको सं० २००२ में अजीमगंज के श्रीसंघ द्वारा "सिद्धान्तमहोदधि" तथा सं० २००५ में धमतरी के श्रीसंघ द्वारा "व्याख्यान-वाचस्पति" पदों से अलंकृत किया गया।
___ आपके उपदेश से अजीमगंज निवासियों ने शिखरजी, पावापुरी, चंपापुरी, गुणाया, क्षत्रियकुण्ड, काकंदी का संघ निकाला। सं० २००५ में धमतरी से भांडकजी, कुल्पाकजी तीर्थ यात्री संघ निकला। सं० २०१२ में शत्रुजय, गिरनार, आबू, शंखेश्वर, खंभात के लिए संघ निकला। नागपुर से कोठारी भंवरलाल जी, डूंगरमल जी ने अक्षय तृतीया निमित्त सिद्धगिरि आदि का लघु संघ निकाला।
आपके कर-कमलों से अनेक स्थानों में प्रतिष्ठाएँ सम्पन्न हुईं। सं० २००२ में बीकानेर में नूतन महावीर प्रासाद, सं० २००३ में रायपुर के ऋषभ जिनालय में प्रतिष्ठा, सं० २००४ में भागलपुर के वासुपूज्य जिनालय में प्रतिष्ठा, सं० २००५ में धमतरी के चन्द्रप्रभु जिनालय प्रतिष्ठा, सं० २००७ में श्री जिनचारित्रसूरि गुरु मंदिर नाल ग्राम (बीकानेर) में प्रतिष्ठा, सं० २००८ में ध्वजा-दंड-कलश, भृकुटी देवी प्रतिष्ठा, सं० २००९ फैजाबाद में शांतिनाथ जिनालय प्रतिष्ठा, सं० २०१० में नागपुर में अजितबला देवी मूर्ति प्रतिष्ठा और मणिधारी जिनचन्द्रसूरि दादाबाड़ी प्रतिष्ठा, सं० २०११ में अजीमगंज में महावीर स्वामी वेदी प्रतिष्ठा, सं० २०१२ में खरियार रोड़ में पार्श्वनाथ मंदिर एवं जिनकुशलसूरि दादाबाड़ी प्रतिष्ठा, रतलाम में अमृतसागर दादावाड़ी में जिनचन्द्रसूरि की प्रतिमा की प्रतिष्ठा, सं० २०१३ कूचविहार में मल्लिनाथ मंदिर प्रतिष्ठा, उज्जैन में शांतिनाथ वेदी प्रतिष्ठा, इन्दौर में नवपद पट्ट प्रतिष्ठा, सं० २०१४ में झालावाड़ में गुरुदेव चरण-मूर्ति प्रतिष्ठा, सं० २०१७ माघ सुदि १० को दाढ़ी (दुर्ग) में शांतिनाथ जिनालय व दादा साहब की प्रतिष्ठा आदि लगभग ३० प्रतिष्ठाएँ कराई।
सं० २०१२ में खरियार रोड़ में पार्श्वनाथ मन्दिर की प्रतिष्ठा के अवसर पर उपाध्याय विनयसागर को महोपाध्याय पद प्रदान किया था।
संविग्न साधु-साध्वी परम्परा का इतिहास
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