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________________ तदनन्तर देश-विदेशों में विहार करके अनेक नगरों में चातुर्मास करके धर्म का प्रचार किया। श्री शिखरजी आदि तीर्थों की यात्रा की। मालव प्रान्त में विचरण किया। बदनावर, गंगधार, कोटा आदि नगरों में श्री गुरु मूर्ति, चरणपादुका आदि की प्रतिष्ठा की। कोंकणदेश तथा बम्बई की ओर विचरण कर श्री कीर्तिरत्रसूरि परम्परा के क्रियोद्धारक शास्त्रविशारद श्री जिनकृपाचन्द्रसूरि जी को लाल बाग में आचार्य पद, श्री सुमतिसागर जी को उपाध्याय पद और श्री मतिसागर जी को पण्डितप्रवर पद प्रदान किये। श्री सिद्धाचल जी की यात्रा आदि धर्म क्रिया पूर्वक विचरते हुए आपने सत्य, गांभीर्य आदि अनेक विशेष गुणों से विभूषित होकर मकसूदाबाद, कलकत्ता आदि नगरों में व्याख्यान-वाचस्पति विरुद प्राप्त किया। विशिष्ट साहित्य के प्रकाशनार्थ आपने श्री अभयदेवसूरि जैन ग्रंथमाला की स्थापना की और कई ग्रंथों का प्रकाशन कराया। शासन प्रभावना के अनेकों कार्य सम्पन्न कराते हुए सं० १९९८ में बीकानेर के दादातीर्थ नाल गाँव में स्वर्ग के अतिथि बने। आपका स्मृति मंदिर बीकानेर निवासी श्री दीपचंद जी गोलेछा ने सत्रह हजार रुपयों की लागत से बनवाकर सं० २००७ आषाढ़ कृष्णा ११ को श्री जिनविजयेन्द्रसूरि जी के कर-कमलों से प्रतिष्ठित करवाके चरण पादुकाएँ स्थापित की। श्री जिनचारित्रसूरि जी द्वारा प्रतिष्ठित जिन मंदिर, गुरुदेव मूर्ति-चरण जिन-जिन नगरों में हैं, उनकी सूची निम्न है :1. सुजानगढ़, 2. महाजन, 3. उदरामसर, 4. रेल दादाजी, 5. दूगड़ों की दादावाड़ी, 6. कुशलरामवाटिका, 7. नाल में वेदी, 8. खजवाणा, 9. सोजत, 10. पालीताना, 11. गुलाबपुरा (मेवाड़), 12. बदनावर, 13. बड़वाय, 14. कोटा, 15. गंगधार, 16. जबलपुर, 17. भांदक तीर्थ, 18. नवणगाम, 19. परभणी, 20.-21. चम्पापुरी जी, 22. क्षत्रियकुण्ड, 23. काकंदी तीर्थ, 24. फाबिशगंज, 25.-28. जीयागंज, 29. मांडल, 30. अमरावती। आपके कर-कमलों से ३५ शांति पूजा और २७ मंडल पूजाएँ सम्पन्न हुईं। आपके द्वारा पद स्थापना इस प्रकार हुई-1 आचार्य, १२ उपाध्याय, १ वाचनाचार्य, १ प्रवर्तक व १ गणि पद। (२५६) Jain Education International 2010_04 खरतरगच्छ का इतिहास, प्रथम-खण्ड For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002594
Book TitleKhartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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