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________________ ___ सं० १९३१ ज्येष्ठ सुदि दशमी के दिन बीकानेर में माणक चौक (रांगड़ी) में उपाध्याय श्री लक्ष्मीप्रधान जी गणि के उपदेश से बनवाये हुए नवीन श्री कुन्थुनाथ जिनालय की प्रतिष्ठा की। सं० १९३२ में श्री चिन्तामणि जी के मंदिर में संघकारित क्रिया उत्सव के साथ श्री जिन बिम्बों की प्रतिष्ठा की। इस प्रकार और भी अनेक प्रतिष्ठाएँ व अनेक धर्मकृत्य करने वाले सौभाग्यगुणधारक श्री जिनहंससूरि जी सं० १९३५ कार्तिक कृष्णा १२ के दिन चार प्रहर का अनशन करके समाधिपूर्वक स्वर्गवासी हुए। आचार्य श्री जिनचन्द्रसूरि ये गोलेछा गोत्रीय थे। सं० १९३५ माघ शुक्ल एकादशी के दिन इन्हें आचार्य पद की प्राप्ति हुई थी। तदनन्तर अनेक नगरों में विचरण कर, धर्म का उद्योत करके आप सं० १९५६ कार्तिक वदि ५ को अनशन करके स्वर्गवासी हुए आचार्य श्री जिनकीर्तिसूरि इनका जन्म सं० १९३१ में जोधपुर निवासी भणशाली मुहता गोत्रीय पन्नालाल जी की धर्मपत्नी नाजू देवी की रत्नकुक्षि से हुआ था। आपका जन्म नाम केशरीचंद था। सं० १९५६ कार्तिक कृष्णा ६ को आप दीक्षित हुए। बीकानेर में संघ कृत नंदी महोत्सव पूर्वक आपको आचार्य पद की प्राप्ति हुई। तदनन्तर आपने मारवाड़, पूरब, दक्षिण आदि देशों में विहार करके धर्म का प्रचार किया। श्री सम्मेतशिखर जी आदि तीर्थों की यात्राएँ तथा प्रतिष्ठादि अनेक शुभ कार्य करने वाले आपश्री का सं० १९६७ कार्तिक वदि अमावस्या, दीपावली के दिन केवल ३६ वर्ष की आयु में स्वर्गवास हुआ। 卐 आचार्य श्री जिनचारित्रसूरि मारवाड़ देश में माडपुरा ग्राम निवासी छाजेड़ गोत्रीय साह पाबूदान जी की धर्मपत्नी सोना देवी की रत्नकुक्षी से आपका जन्म सं० १९४२ वैशाख शुक्ला ८ के दिन हुआ था। आपका जन्म नाम चुन्नीलाल था। सं० १९६२ वैशाख सुदि तृतीया के दिन आपने बीकानेर में दीक्षा ग्रहण की। आपका दीक्षा नाम चारित्रसुन्दर था जो यथानाम तथागुण था। आपने शास्त्राभ्यास करके थोड़े से समय में ही जैन सिद्धान्त के साथ-साथ व्याकरण, तर्क, काव्य, कोष, मंत्र-शास्त्र आदि विषयों का प्रगाढ़ ज्ञान प्राप्त कर लिया। सं० १९६७ माघ कृष्णा पंचमी को बीकानेर में संघ कृत नन्दि महोत्सव पूर्वक आचार्य पद प्राप्त किया। संविग्न साधु-साध्वी परम्परा का इतिहास (२५५) Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002594
Book TitleKhartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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