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________________ पैसठ वर्ष की उम्र में श्री जिनचन्द्रसूरि जी महाराज ने इस विनाशशील पंच भौतिक शरीर को त्याग कर स्वर्ग में देवताओं का आतिथ्य स्वीकार किया। प्रातः काल होते श्रीसंघ ने श्री वर्धमान स्वामी के निर्वाण समय की शिबिका के समान अनेक मण्डपिकाओं से सुशोभित विमान बनाकर उसमें श्री सूरीश्वर जी के पार्थिव देह को रखकर नागरिक और राजकीय लोगों के समुदाय के साथ श्मशान यात्रा महोत्सव किया। उस अवसर पर बारह प्रकार के बाजों का निनाद, नाणों की उछाल तथा सधवा महिलाओं द्वारा पूर्वाचार्यों का गुणगान आदि कार्य किये गये थे। इस बाबत में कतिपय विद्वानों ने गुरु महाराज के लेश मात्र गुण गणों का स्मरण इस भाँति किया यस्मिन्नस्तमितेऽखिलं क्षितितलं शोकाकुलव्याकुलं, जज्ञे दुर्मदवादिकौशिककुलं सर्वत्र येनोल्वणम्। ज्योतिर्लक्षणतर्कमन्त्रसमयालंकारविद्यासमा, दुःशीला वनिता इवात्र भुवने वाञ्छन्ति हा तुच्छताम्॥ पङ्कापहारनिखिले महीतले गार्मिनिर्जरतरलितैः? विधाय येऽस्तंगताः श्रीस्वर्गं ये.............॥ ये तु रीनेपुत्रनिचतवयं मुक्तं मा हत्याकुलं (?), सद्यस्तत्पथगामिभिः सहचरैः सौराज्यसौभिक्ष्यकैः। स्थास्यामोऽपनयः (?) कथं वयमिति ज्ञात्वेव चिन्तातुरैः, प्रातः श्रीजिनचन्द्रसूरिगुरवः स्वर्गस्थिता मङ्गलम्॥ भाव्यं भूवलये क्षयं कलिपतेर्दुर्भिक्षसेनापतेत्विा तन्मथनोद्यताः सुरगुरुं प्रष्टं सखायं निजम्। मन्ये नाशिकमन्नवारणयुताभावात् पत्राद्धृता (?), राजानो जिनचन्द्रसूरय इति स्वर्गं गता दैवतः॥ महाराजश्री की पारलौकिक क्रियाओं के विधिपूर्वक सम्पन्न किये जाने बाद मंत्रीश्वर देवराज के पौत्र और मंत्री माणकचन्द्र के पुत्ररत्न मंत्री श्री मूंधराज श्रावक ने चिता स्थान की जगह पूज्यश्री की चरण पादुका सहित एक सुन्दर स्तूप बनवाया। विशेष जिनचन्द्रसूरि : जिनप्रबोधसूरि ने अपने निधन के पूर्व ही वि०सं० १३४१ वैशाख सुदि ३ को १. स्वर्गवास के समय ६५ वर्ष की अवस्था का उल्लेख समीचीन नहीं है क्योंकि श्री जिनकुशलसूरि जी कृत श्री जिनचन्द्र सूरि चतुः सप्ततिका में इनका जन्म सं० १३२४ लिखा है यतः - 'वेय (४) विलोयण (२) तिहुयण (३) ससिमिय (१) वरिसे तुहु पती।' अत: ५२ वर्ष आयु होगी। पैंसठ वर्ष तो १३८९ में होते जो श्री जिनकुशलसूरि जी का स्वर्गवास समय है। संविग्न साधु-साध्वी परम्परा का इतिहास Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only (१६५) www.jainelibrary.org
SR No.002594
Book TitleKhartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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